शराब व्यापारियों ने दिल्ली सरकार से 70 लाख बोतल के बचे स्टॉक को निकालने के लिए मदद मांगी |

शराब व्यापारियों ने दिल्ली सरकार से 70 लाख बोतल के बचे स्टॉक को निकालने के लिए मदद मांगी

शराब व्यापारियों ने दिल्ली सरकार से 70 लाख बोतल के बचे स्टॉक को निकालने के लिए मदद मांगी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:20 PM IST, Published Date : September 29, 2022/8:08 pm IST

नयी दिल्ली, 29 सितंबर (भाषा) शराब उद्योग ने लगभग 70 लाख बिना बिकी शराब की बोतलों के बचे स्टॉक के निपटान के लिए दिल्ली सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है। इस बचे स्टॉक का कारण आबकारी नीति में बदलाव किया जाना है।

कनफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) ने दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग को पत्र लिखकर बिना बिके स्टॉक के निपटान के लिए तत्काल ध्यान देने की मांग की है।

दिल्ली सरकार 17 नवंबर, 2021 को आबकारी नीति 2021-22 लेकर आई थी, जिसने शराब की बिक्री में सरकार के लगभग पूर्ण एकाधिकार को समाप्त कर दिया, निजी कंपनियों के लिए सख्त राजस्व व्यवस्था को उदार बनाने के साथ, यह दुकानें शहर में संक्षिप्त अवधि के लिए खुली थीं।

इस नीति को जुलाई में वापस ले लिया गया था जब उपराज्यपाल ने सरकार पर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए इसके कार्यान्वयन में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।

17 नवंबर, 2021 से पहले लागू पुरानी आबकारी नीति को एक सितंबर से पुन: वापस लाया गया था।

सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरि ने कहा, “17 नवंबर, 2021 को जब नीति में बदलाव किया गया था, कंपनियों के एल-वन गोदामों में बचे हुए स्टॉक के निपटान का मामले का अभी समाधान नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘आबकारी विभाग ने कंपनियों को इस स्टॉक को अपने नए एल-वन लाइसेंसधारियों को हस्तांतरित करने की अनुमति दी थी, लेकिन इस तरह के आश्वासन के बावजूद इसे बेचने की अनुमति नहीं दी गई।’’

दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह मामला विचाराधीन है और बचे हुए स्टॉक के निपटान के बारे में फैसला लिया जाना बाकी है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘स्टॉक में लगभग शराब की लगभग 70 लाख बोतलें थी। माना जाता है कि आबकारी विभाग, एक सितंबर से लागू आबकारी नीति के तहत पंजीकृत शराब ब्रांडों के स्टॉक की बिक्री की अनुमति देने के पक्ष में था।

अधिकारी ने कहा, ‘‘उन ब्रांडों के स्टॉक के बारे में निर्णय लिया जाना बाकी है जो अभी तक फिर से पंजीकृत नहीं हुए हैं।’’

अधिकारियों ने कहा कि यदि स्टॉक को बेचने की अनुमति नहीं है, तो इसे नष्ट करना होगा क्योंकि शराब को वैध लाइसेंस के बिना नहीं बेचा जा सकता है।

सीआईएबीसी ने कहा कि एक सितंबर, 2022 से प्रभावी नीति के तहत, भारत में बने व्हिस्की ब्रांडों के लिए ब्रांड लाइसेंस शुल्क 25 लाख रुपये प्रति ब्रांड प्रति वर्ष है, जबकि इससे पहले प्रभावी नीति के तहत यह सिर्फ एक लाख रुपये था।

इस आबकारी वर्ष में सात माह से भी कम समय शेष रहने के बावजूद ब्रांड लाइसेंस शुल्क जो पूरे वर्ष के लिए देना होता है, पूर्ण रूप से लिया जा रहा है।

गिरि ने सरकार से लाइसेंसधारियों को बचे हुए स्टॉक को कम से कम दो महीने या स्टॉक खत्म होने तक बेचने की अनुमति देने का आग्रह किया है।

गिरि ने कहा कि शराब के इन बचे स्टॉक पर जो उत्पाद शुल्क चुकाया जाएगा, उससे सरकारी राजस्व में इजाफा होगा और शहर में प्रमुख शराब की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)