ऋण किस्त स्थगन: बैंकों से कर्जदारों को ‘ब्याज पर ब्याज’ लौटाने को कहा गया, आरबीआई ने न्यायालय से कहा

ऋण किस्त स्थगन: बैंकों से कर्जदारों को ‘ब्याज पर ब्याज’ लौटाने को कहा गया, आरबीआई ने न्यायालय से कहा

  •  
  • Publish Date - November 1, 2020 / 02:08 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:13 PM IST

नयी दिल्ली, एक नवंबर (भाषा) आरबीआई ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि बैंकों, वित्तीय और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से कहा गया है कि वे किस्त स्थगन योजना के तहत उन पात्र कर्जदारों के खातों से पर लागू किए गए चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच के अंतर को पांच नवंबर तक जमा करने के लिए ‘‘जरूरी कदम उठाएं।’’ यह व्ययस्था दो करोड़ रुपये तक के बकाया कर्जों के लिए है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सहायक महाप्रबंधक प्रशांत कुमार दास के माध्यम से दायर एक हलफनामे में वित्त मंत्रालय के 23 अक्टूबर के अतिरिक्त जवाब का उल्लेख किया और कहा कि केंद्रीय बैंक ने हाल में एक अधिसूचना जारी कर बैंकों और वित्तीय संस्थानों से कर्जदारों को उस अतिरिक्त ब्याज का पैसा वापस करने के लिए कहा है।

इससे पहले केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि आरबीआई की ऋण किस्त स्थगन योजना के तहत दो करोड़ रुपये तक कर्ज लेने वाले पात्र कर्जदारों को ऋण पर लिए गए चक्रवृद्धि और साधारण ब्याज के बीच के अंतर की वापसी पांच नवंबर तक की जाएगी।

आरबीआई ने अपने हालिया हलफनामे में कहा, ‘‘सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/ राज्य सहकारी बैंक/ जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, सभी अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान और सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आवास वित्त कंपनियों सहित) योजना के प्रावधानों द्वारा निर्देशित होगी और निर्धारित समयावधि में आवश्यक कार्रवाई करेंगी।’’

आरबीआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘वित्त मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग ने कोविड-19 की अप्रत्याशित और अभूतपूर्व स्थिति को देखते हुए विशेष ऋण खातों के कर्जदारों को छह महीने के लिए चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच के अंतर के भुगतान के बदले अनुदान देने के लिए एक योजना को मंजूरी दी है।’’

इस हलफनामे में सरकार के फैसले और उसके बाद आरबीआई द्वारा जारी किए गए परिपत्र को भी संलग्न किया गया है। इसमें कहा गया है कि सभी बैंकों, एफआई और आवास वित्त कंपनियों से पात्र कर्जदारों को केंद्र के फैसले के अनुरूप लाभ देने के लिए कहा गया है।

भाषा पाण्डेय मनोहर

मनोहर