नीतिगत दर बदलाव में आधार दर के मुकाबले एमसीएलआर अधिक असरदारः आरबीआई पत्र

नीतिगत दर बदलाव में आधार दर के मुकाबले एमसीएलआर अधिक असरदारः आरबीआई पत्र

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  • Publish Date - August 12, 2022 / 10:14 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:33 PM IST

मुंबई, 12 अगस्त (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक शोधपत्र में कहा गया है कि नीतिगत बदलाव में आधार दर पद्धति के मुकाबले वित्तपोषण की सीमांत लागत आधारित उधारी दर (एमसीएलआर) कहीं ज्यादा असरदार है।

इस शोध पत्र के मुताबिक, आरबीआई अपनी रेपो दर में एक प्रतिशत की वृद्धि करता है तो एमसीएलआर व्यवस्था के तहत बैंकों द्वारा नए कर्जों के लिए भारित औसत उधारी दर 0.26-0.47 प्रतिशत बढ़ जाती है। वहीं आधार दर पद्धति के तहत उधारी दर में वृद्धि 0.11-0.19 प्रतिशत तक ही होती है।

साधन कुमार चट्टोपाध्याय और अर्घ्य कुसुम मित्रा के लिखे इस शोध पत्र में कहा गया, ‘‘एमसीएलआर व्यवस्था में आधार दर व्यवस्था की तुलना में नीतिगत दर बदलाव कहीं अधिक होता है।’’

नीतिगत बदलाव का आशय उस प्रक्रिया से है, जिसके तहत रेपो दर में बदलाव का असर वित्तीय व्यवस्था में होता है। आरबीआई नीतिगत ब्याज दर रेपो दर पर बैंकों को कर्ज देता है और फिर बैंक उस राशि का इस्तेमाल अपने ऋण वितरण के लिए करते हैं।

पत्र में विभिन्न मॉडलों का इस्तेमाल करते हुए आधार दर और एमसीएलआर व्यवस्था दोनों के तहत बैंक उधारी दरों पर मौद्रिक नीति के असर का अनुमान लगाया गया है।

भाषा पाण्डेय प्रेम

प्रेम