संकट से निपटने को बनायी गयी पूंजी बफर व्यवस्था लागू करने की जरूरत नहींः रिजर्व बैंक

संकट से निपटने को बनायी गयी पूंजी बफर व्यवस्था लागू करने की जरूरत नहींः रिजर्व बैंक

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  • Publish Date - April 23, 2024 / 05:17 PM IST,
    Updated On - April 23, 2024 / 05:17 PM IST

मुंबई, 23 अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को कहा कि उसने मुश्किल हालात से निपटने के लिए लायी गयी पूंजी बफर व्यवस्था (सीसीवाईबी) को सक्रिय नहीं करने का फैसला किया है, क्योंकि मौजूदा हालात में इसकी जरूरत नहीं है।

आरबीआई ने फरवरी, 2015 में कठिन समय से पार पाने के लिए पूंजी बफर व्यवस्था से संबंधित रूपरेखा लागू की थी। इसमें यह सलाह दी गई थी कि सीसीवाईबी को परिस्थितियों के हिसाब से जरूरत महसूस होने पर लागू किया जाएगा और इस बारे में सामान्य तौर पर पहले घोषणा की जाएगी।

केंद्रीय बैंक की रूपरेखा के मुताबिक, सीसीवाईबी को लागू करने के मुख्य संकेतक के रूप में ऋण-सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अंतर यानी कर्ज जीडीपी अनुपात और इसके दीर्घकालीन रुख के बीच अंतर पर गौर किया जाएगा। इसके साथ अन्य संकेतकों का तालमेल बिठाने के बाद ही कोई फैसला किया जाएगा।

आरबीआई ने अपने बयान में कहा, ‘सीसीवाईबी संकेतकों की समीक्षा और अनुभवजन्य विश्लेषण के आधार पर, यह निर्णय लिया गया है कि इस समय सीसीवाईबी को सक्रिय करना आवश्यक नहीं है।’

आरबीआई ने इस व्यवस्था को वर्ष 2015 में अपनाए जाने के बाद से अब तक कभी भी लागू नहीं किया है।

दरअसल रिजर्व बैंक मानता है कि सीसीवाईबी व्यवस्था का उद्देश्य दोहरा है। पहले इसके लिए बैंकों को बेहतर दिनों में पूंजी का एक बफर बनाने की आवश्यकता होती है ताकि खराब समय में ऋण के प्रवाह को बनाए रखने के लिए उसका इस्तेमाल किया जा सके।

दूसरा उद्देश्य यह है कि बैंकिंग क्षेत्र ऋण वृद्धि की अवधि में अंधाधुंध कर्ज देने से रोकने के व्यापक विवेकपूर्ण लक्ष्य को हासिल कर पाता है।

वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में केंद्रीय बैंकों के गवर्नर और निगरानी प्रमुखों के समूह (जीएचओएस) ने प्रति-चक्रीय पूंजीगत उपायों यानी मुश्किल हालात से निपटने के लिए एक रूपरेखा अपनाने की वकालत की थी।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

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