नोबेल विेजेता डगलस डॉयमंड ने कहा, अमेरिका के दरों में वृद्धि की रफ्तार घटाने पर स्थिर होगा रुपया |

नोबेल विेजेता डगलस डॉयमंड ने कहा, अमेरिका के दरों में वृद्धि की रफ्तार घटाने पर स्थिर होगा रुपया

नोबेल विेजेता डगलस डॉयमंड ने कहा, अमेरिका के दरों में वृद्धि की रफ्तार घटाने पर स्थिर होगा रुपया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:09 PM IST, Published Date : November 27, 2022/1:57 pm IST

(जाफरी मुदस्सर नोफिल)

नयी दिल्ली, 27 नवंबर (भाषा) आर्थिक विज्ञान में इस साल के नोबेल पुरस्कार के विजेता डगलस डब्ल्यू डायमंड ने कहा है कि विनिमय दर का अनुमान लगाना कठिन है हालांकि जब अमेरिका में दरों में वृद्धि की गति कम होगी तब रुपये में भी स्थिरता आएगी।

अमेरिकी अर्थशास्त्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ को ईमेल के जरिये भेजे साक्षात्कार में कहा कि जब अमेरिका विनिमय दरों को अप्रत्याशित रूप से बढ़ाता है तब डॉलर मजबूत होता है तथा जब अमेरिका और भारत में ब्याज दर लगभग एक समान स्तर पर आ जाएंगी, तो चीजें सामान्य होने लगेंगी।

शिकॉगो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर डगलस डब्ल्यू डायमंड को अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के पूर्व चेयरमैन बेन बेर्नान्के और अमेरिका के अर्थशास्त्री फिलिप एच डिबविग के साथ नोबेल पुरस्कार मिला है।

उनके अध्ययन का विषय था कि ‘‘बैंकों को बर्बाद होने से बचाना क्यों आवश्यक है।’’

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में निरंतर गिरावट आने के बारे में एक सवाल के जवाब में डायमंड ने कहा, ‘‘विनिमय दरों का अनुमान लगाना कठिन है। जब अमेरिका दरों में अप्रत्याशित तरीके से वृद्धि करता है, तो डॉलर में मजबूती आती है। जब अमेरिका में दरों में वृद्धि की गति घटेगी, तब रुपये में स्थिरता आएगी।’’

शुक्रवार को, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे चढ़कर 81.54 पर प्रति डॉलर पर था।

डायमंड ने कहा कि बैंकों की निगरानी प्रणाली तब अच्छी तरह से काम करती है जब उनके पास काफी पूंजी होती है और बैंक के अंदरूनी लोगों को बहुत कम उधार मिलता है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा अनुमान है कि भविष्य में भी यह जारी रहने वाला है। बचतकर्ताओं को ऊंचा रिटर्न मिले इसके लिए बैंकों के बीच प्रतिस्पर्धा भी जरूरी है।’’

नोबेल पुरस्कार विजेता डायमंड ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम जी राजन के साथ 2001 में ‘थ्योरी ऑफ बैंकिंग’ पर काम किया था। उन्होंने कहा कि इसमें से निकले निष्कर्षों में से एक यह था कि बैंकों को अनुशासित करने के लिए उनका थोड़ा कमजोर होना जरूरी है।

बीते 40 वर्ष में उनके अध्ययन का उद्देश्य यह समझाना रहा है कि बैंक क्या करते हैं, क्यों करते हैं और इन व्यवस्था का परिणाम क्या होता है। अर्थव्यवस्था में विशेषकर संकटकाल में बैंकों की भूमिका को और बेहतर तरीके से समझाने वाले अध्ययन के लिए उन्हें नोबेल मिला है।

भाषा मानसी अजय

अजय

 

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