मुंबई, 27 नवंबर (भाषा) कर्ज के बोझ से दबी कंपनियों की दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत कुल वसूली दर सितंबर तिमाही के अंत में घटकर 30.18 प्रतिशत रह गई।
केयर रेटिंग द्वारा आईबीबीआई के आंकड़ों का विश्लेषण करने से यह जानकारी मिली। इससे संकेत मिलता है कि कर्जदाता वसूली के लिए बकाया राशि में अधिक कटौती कर रहे हैं। कुल वसूली दर वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में 43 प्रतिशत थी।
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की विभिन्न पीठों द्वारा स्वीकार किए गए वित्तीय लेनदारों के 7,90,626.2 करोड़ रुपये के दावों में से केवल 2,43,452.5 करोड़ रुपये या 30.18 प्रतिशत ही वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही के अंत तक वसूल किए गए हैं।
भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) को लागू करने वाली एक प्रमुख संस्था है। बोर्ड दबाव वाली संपत्ति का बाजार से संबंधित समयबद्ध समाधान मुहैया कराता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि कुल वसूली दर में गिरावट आ रही है। यह वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में 43 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में 32.9 प्रतिशत थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2020-21 की दूसरी छमाही के बाद से एनसीएलटी में जाने वाले मामलों की संख्या में भी गिरावट आई है।
भाषा पाण्डेय अजय
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