चालू खरीफ सत्र में धान का रकबा लगभग चार प्रतिशत बढ़ा, दलहन रकबा आठ प्रतिशत कम

चालू खरीफ सत्र में धान का रकबा लगभग चार प्रतिशत बढ़ा, दलहन रकबा आठ प्रतिशत कम

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  • Publish Date - September 1, 2023 / 07:25 PM IST,
    Updated On - September 1, 2023 / 07:25 PM IST

नयी दिल्ली, एक सितंबर (भाषा) चालू खरीफ बुवाई सत्र में अब तक धान का रकबा लगभग चार प्रतिशत बढ़कर 398.08 लाख हेक्टेयर रहा। वहीं दलहन का रकबा आठ प्रतिशत कम रहा है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।

पिछले वर्ष की समान अवधि में धान का रकबा 383.79 लाख हेक्टेयर था।

मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार बिहार में धान खेती के रकबे में पांच लाख हेक्टेयर, छत्तीसगढ़ (4.66 लाख हेक्टेयर), झारखंड (1.82 लाख हेक्टेयर), पश्चिम बंगाल (1.56 लाख हेक्टेयर), मध्य प्रदेश (1.48 लाख हेक्टेयर), हरियाणा (1.29 लाख हेक्टेयर), उत्तर प्रदेश ( 1.21 लाख हेक्टेयर), तेलंगाना (33,000 हेक्टेयर) और पंजाब (31,000 हेक्टेयर) की वृद्धि हुई है।

कर्नाटक में धान का रकबा 1.67 लाख हेक्टेयर घटा है और आंध्र प्रदेश में खेती का रकबा 1.21 लाख हेक्टेयर कम हुआ है।

शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, दालों खेती का रकबा एक साल पहले की अवधि के 130.13 लाख हेक्टेयर से आठ प्रतिशत घटकर 119.09 लाख हेक्टेयर रह गया है।

मोटे अनाज का रकबा एक साल पहले के 179.13 लाख हेक्टेयर से मामूली बढ़कर 181.06 लाख हेक्टेयर हो गया।

तिलहनों की बुवाई भी 191.91 लाख हेक्टेयर के मुकाबले अब तक थोड़ी कम रहकर 190.11 लाख हेक्टेयर रही है।

मूंगफली खेती का रकबा 45 लाख हेक्टेयर से घटकर 43.37 लाख हेक्टेयर रह गया है। वहीं सोयाबीन का रकबा 123.91 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 125.13 लाख हेक्टेयर हो गया है।

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कपास खेती का रकबा पहले के 125.63 लाख हेक्टेयर से घटकर 122.99 लाख हेक्टेयर रह गया है।

हालांकि, गन्ने का रकबा एक साल पहले की अवधि के 55.65 लाख हेक्टेयर से अधिक यानी 59.91 लाख हेक्टेयर हो गया है।

चालू खरीफ (ग्रीष्मकालीन बुवाई) सत्र में खेती का कुल रकबा 1,073.22 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 1,077.82 लाख हेक्टेयर हो गया है।

मौसम विभाग के अनुसार वर्ष 1901 के बाद से देश में अगस्त महीने में सबसे कम बारिश हुई। हालांकि दक्षिण-पश्चिम मानसून के सप्ताहांत में फिर से सक्रिय होने की उम्मीद है, जिससे देश के मध्य और दक्षिणी हिस्सों में बारिश होगी।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण