नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी फोनपे ने बुधवार को कहा कि भारत को फिर से अपना ठिकाना बनाने के लिए उसे 8,000 करोड़ रुपये के कर का भुगतान करना पड़ा है। कंपनी ने कहा कि ऐसा अनुमान है कि उसे 7,300 करोड़ रुपये का संचित घाटा हो सकता है, हालांकि इसकी भरपाई भविष्य में होने वाले लाभ से हो जाएगी।
दस अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाली इस कंपनी ने कहा कि कारोबारों के यहां अधिवास स्थापित करने से संबंधित स्थानीय कानून प्रगतिशील नहीं हैं।
फोनपे के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) समीर निगम ने एक ऑनलाइन सत्र के दौरान कहा कि कंपनी के अधिवास से संबंधित मौजूदा कानून की वजह से कर्मचारियों को ‘एम्प्लॉई स्टॉक ओनरशिप प्लान (ईएसओपी)’ के तहत मिले सारे प्रोत्साहन से हाथ धोना पड़ा है।
कंपनी के सह-संस्थापक एवं मुख्य तकनीकी अधिकारी राहुल चारी भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
निगम ने कहा, ‘‘यदि आप भारत को अपना अधिवास बनाना चाहते हैं तो नए सिरे से बाजार मूल्यांकन करना होगा और कर अदा करना होगा। भारत वापस आने की इजाजत पाने के लिए हमारे निवेशकों को करीब 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा है। यदि कोई कारोबार पूरी तरह से परिपक्व नहीं हुआ है तो यह उसके लिए एक बहुत बड़ा झटका है।’’
उन्होंने कहा कि फोनपे इस झटके को इसलिए झेल पाई क्योंकि उसके पास वॉलमार्ट और टेनसेंट जैसे दीर्घकालिक निवेशक हैं।
फोनपे अक्टूबर, 2022 में वापस भारत आई थी।
भाषा मानसी अजय
अजय
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