बिजली मंत्री ने विद्युत संशोधन विधेयक पर ममता बनर्जी के विरोध को लेकर उनकी मंशा पर सवाल उठाया |

बिजली मंत्री ने विद्युत संशोधन विधेयक पर ममता बनर्जी के विरोध को लेकर उनकी मंशा पर सवाल उठाया

बिजली मंत्री ने विद्युत संशोधन विधेयक पर ममता बनर्जी के विरोध को लेकर उनकी मंशा पर सवाल उठाया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:48 PM IST, Published Date : September 13, 2021/10:34 pm IST

नयी दिल्ली, 13 सितंबर (भाषा) बिजली मंत्री आर के सिंह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2021 का विरोध करने पर उनकी मंशा को लेकर संदेह जताया है। पत्र में मंत्री ने उनसे पूछा है कि आखिर वह खासकर कोलकाता में बिजली वितरण के क्षेत्र में निजी एकाधिकार का संरक्षण क्यों करना चाहती हैं।

बनर्जी ने पिछले महीने कथित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्यों के विरोध के बावजूद सरकार की विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2021 संसद के मानसून सत्र में लाने की योजना का विरोध किया था। उन्होंने नये संशोधनों को ‘जन विरोधी’ करार दिया था।

विधेयक मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किये जाने को लेकर सूचीबद्ध था लेकिन इसे पेश नहीं किया गया।

सिंह ने बनर्जी को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘कोलकाता में निजी वितरण कंपनी की शुल्क दरें देश में सबसे अधिक है और उसका एकाधिकार है। अगर प्रस्तावित संशोधन होता है तो कंपनी को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। आप क्यों प्रतिस्पर्धा से इस कंपनी को बचाना चाहती है, यह स्पष्ट नहीं है।’’

विधेयक में देश में बिजली वितरण कारोबार को लाइसेंस मुक्त करने का प्रावधान किया गया है। एक बार विधेयक के कानून बन जाने पर, बिजली वितरण को लाइसेंस से मुक्त कर दिया जाएगा और उपभोक्ताओं के पास दूरसंचार क्षेत्र की तरह बिजली आपूर्ति सेवा प्रदाताओं को चुनने का विकल्प होगा।

विधेयक का उद्देश्य बिजली वितरण क्षेत्र में निजी और सरकारी एकाधिकार को समाप्त करना है।

मंत्री ने पत्र में यह भी कहा है कि प्रस्तावित विधेयक के अमल में आने के बाद भी एक के बल पर दूसरे को सब्सिडी (क्रास सब्सिडी) की व्यवस्था बनी रहेगी।

उन्होंने कहा कि बिजली आपूर्ति के लिये एक क्षेत्र में एक से अधिक सेवा प्रदाता कोई नया नहीं है। यह मुंबई में पहले से है।

सिंह ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल राज्य विद्युत वितरण कंपनी की बिल को लेकर दक्षता केवल 81.43 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय औसत 85.36 प्रतिशत है। कुल तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान 20.40 प्रतिशत है।

भाषा

रमण महाबीर

महाबीर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)