ऊर्जा बदलाव के वित्तपोषण से जुड़े जोखिमों, अवसरों को अपनाने को तैयार नहीं निजी पूंजी : नागेश्वरन

ऊर्जा बदलाव के वित्तपोषण से जुड़े जोखिमों, अवसरों को अपनाने को तैयार नहीं निजी पूंजी : नागेश्वरन

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  • Publish Date - February 22, 2024 / 09:02 PM IST,
    Updated On - February 22, 2024 / 09:02 PM IST

नयी दिल्ली, 22 फरवरी (भाषा) मुख्य आर्थिक सलाहाकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने बृहस्पतिवार को कहा कि निजी पूंजी हरित ऊर्जा की ओर बदलाव के वित्तपोषण से जुड़े जोखिमों और अवसरों दोनों को अपनाने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है।

नागेश्वरन ने ‘रायसीना डायलॉग’ 2024 में कहा कि ऊर्जा बदलाव और जलवायु परिवर्तन जरूरतों के वित्तपोषण के बारे में बहुत सारी बातें हो रही हैं लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं हो रहा है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत जो हरित बॉन्ड जारी करता है, उस पर प्रतिफल में केवल 0.01 प्रतिशत या 0.02 प्रतिशत का लाभ होता है।

नागेश्वरन ने कहा, ‘‘यह बहुत साफ है कि निजी पूंजी ऊर्जा बदलाव के वित्तपोषण से जुड़े जोखिमों और अवसरों दोनों को अपनाने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है। अब, इससे जुड़े जोखिम को कम करने के लिए बहुपक्षीय एजेंसियों या सरकारों को आगे आने की जरूरत है। ऐसे में हमें इससे जुड़ी सामान्य कारोबारी लागत को देखना होगा। क्योंकि महामारी और कर्ज संकट के बाद कई देशों के पास इसके लिए कोई बहुत बड़ी राजकोषीय गुंजाइश नहीं है।’’

नागेश्वरन ने कहा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान हमने स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह (आईईजी) की दो खंडों की रिपोर्ट जारी की थी। इसमें इस बात का जिक्र था कि बहुपक्षीय विकास बैंकों के पास उपलब्ध वित्तपोषण को कैसे बढ़ाया जाए और इसके बदले वे निजी पूंजी का लाभ उठाने के लिए इसका उपयोग कैसे कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि जो काम भारत की अध्यक्षता में पूरा हुआ, आने वाले वर्ष में आगे बढ़ाया जाए।

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, ‘‘निजी पूंजी जुटाना महत्वपूर्ण है…ऐसे में निजी पूंजी जुटाने को लेकर इसपर काम करने और इसकी सिफारिशों पर कदम उठाने का समय आ गया है।’’

भारत की जी-20 अध्यक्षता में स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह को नियुक्त किया गया था। समूह ने बहुपक्षीय विकास बैंकों की क्षमता का उपयोग करने के लिए सिफारिशें की है।

रिपोर्ट में अत्यधिक गरीबी को खत्म करने, साझा समृद्धि को बढ़ावा देने और वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं में योगदान देने, 2030 तक स्थायी व्यवस्था आधारित ऋण स्तर को तीन गुना करने तथा तीसरा वित्तपोषण तंत्र बनाने का सुझाव दिया गया है।

भाषा रमण अजय

अजय