रिजर्व बैंक ने ऑडिटर के कार्यकाल, पात्रता मानदंडों को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया

रिजर्व बैंक ने ऑडिटर के कार्यकाल, पात्रता मानदंडों को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया

रिजर्व बैंक ने ऑडिटर के कार्यकाल, पात्रता मानदंडों को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:38 pm IST
Published Date: June 14, 2021 3:14 pm IST

मुंबई, 14 जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक वित्तीय संस्थानों के लिये ऑडिटर की नियुक्ति को लेकर अपने रुख पर कायम है। हालांकि उसने कार्यकाल और पात्रता समेत अन्य चीजों को लेकर उद्योग के संदेह को दूर किया है।

केंद्रीय बैंक ने 27 अप्रैल, 2021 को वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर), शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) और आवास वित्त कंपनी समेत एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) के सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षकों (एससीए)/सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) की नियुक्ति के लिए दिशानिर्देश को लेकर एक परिपत्र जारी किया था।

परिपत्र को जहां घरेलू ऑडिट कंपनियों समेत नियामक भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) ने स्वागत किया वहीं उद्योग संगठनों ने इसकी समीक्षा की मांग की। उद्योग का कहना था कि इससे लागत बढ़ेगी। उन्होंने इस बात को लेकर भी संदेह जताया था कि क्या घरेलू ऑडिट कंपनियां बड़े खातों को संभाल पाएंगी?

 ⁠

महत्वपूर्ण बात यह है कि बड़ी4 के नाम से चर्चित ऑडिट कंपनियों -केपीएमजी, डेलॉयट, ईवाई और पीडब्ल्यूसी- अब तक इस मामले में चुप हैं। ये चारों ऑडिट कंपनियां विदेशी हैं और नए नियमों से उनके कारोबार पर असर पड़ सकता है।

आरबीआई ने फिर से कहा है कि 27 अप्रैल का परिपत्र केंद्रीय बैंक विनियमित इकाइयों में तटस्थ नियामक मानदंडों को स्थापित करने, लेखा परीक्षकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने, उनकी नियुक्तियों में हितों के टकराव से बचने और लेखा परीक्षा की गुणवत्ता तथा मानकों में सुधार करने के मूल उद्देश्यों के साथ जारी किया गया है।

केंद्रीय बैंक ने सप्ताहांत बार-बार पूछे जाने वाले सवाल के रूप में अपनी स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है, ‘‘ये दिशानिर्देश उसके दायरे में आने वाले सभी विनियमित संस्थाओं में वैधानिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में मदद करेंगे। साथ ही यह भी सुनिश्चित करेंगे कि नियुक्तियां समय पर, पारदर्शी और प्रभावी तरीके से हो।’’

आरबीआई ने बार-बार पूछे जाने वाले सवालों के जरिये यह स्पष्ट किया है कि समूह से आशय केंद्रीय बैंक विनियमित इकाइयों से है। शीर्ष बैंक से पूछा गया था कि क्या रिजर्व बैंक के नियमों के तहत संस्थाओं के लिए सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षक / सांविधिक लेखा परीक्षक द्वारा किसी भी गैर-लेखापरीक्षा कार्य या इसके समूह संस्थाओं के लिए किसी भी लेखा परीक्षा / गैर-लेखापरीक्षा कार्य के बीच एक वर्ष का समय अंतराल समूह की सभी इकाइयों के लिए है या केवल आरबीआई विनियमित संस्थाओं के लिए सुनिश्चित किया गया है।

इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि अगर, कोई ऑडिट कंपनी समूह की उन इकाइयों के लिये लेखा परीक्षा या गैर-लेखा परीक्षा से जुड़ा है, जो आरबीआई द्वारा नियंत्रित नहीं है, उसे एससीए/एसए की नियुक्ति के लिये समूह की केंद्रीय बैंक नियंत्रित इकाई के रूप में माना जाएगा। आरबीआई नियंत्रित इकाई का निदेशक मंडल यह सुनिश्चित करेगा कि हितों का टकराव नहीं हो और लेखा परीक्षकों की स्वतंत्रता बनी रहे।

इसमें यह भी कहा गया है कि अगर चार्टर्ड एकाउंटेंट का कोई भागीदार आरबीआई विनियमित इकाई के समूह में निदेशक है, उक्त कंपनी को समूह की आरबीआई विनियमित इकाइयों में किसी का भी एससीए/एसए नियुक्ति नहीं किया जाएगा।

हालांकि अगर ऑडिट कंपनी को एससीए/एसए के रूप में नियुक्त करने के लिए किसी समूह में आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाओं द्वारा विचार किया जा रहा है, जिसका भागीदार किसी भी समूह संस्थाओं में निदेशक है जो आरबीआई द्वारा विनियमित नहीं है, तो उक्त लेखा परीक्षक कंपनी को बोर्ड को उचित रूप से इसका खुलासा करना होगा।

आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि एससीए / एसए के रूप में ऑडिट फर्म को नियुक्त करने से पहले उनके लिए किसी भी गैर-लेखा परीक्षा कार्य या समूह संस्थाओं के लिए किसी भी लेखा परीक्षा / गैर-लेखा परीक्षा कार्य के बीच एक वर्ष का अंतर वित्त वर्ष 2020-23 से संभावित रूप से लागू होगा।

क्या मौजूदा एससीए / एसए पात्रता मानदंड को पूरा नहीं करने पर कार्य करते रह सकते हैं, जबकि अभी उनका नियुक्ति कार्यकाल बचा हुआ है, इस बारे में कहा गया है कि मौजूदा एससीए / एसए समेत संयुक्त लेखा परीक्षक ऐसा तभी कर सकते हैं, जब वे पात्रता मानदंड को पूरा करते हैं और उक्त इकाई ने एससीए/एसए के रूप में तीन वर्षों का निर्धारित कार्यकाल पूरा नहीं किया है।

हालांकि रिजर्व बैंक ने उन इकाइयों को एससीए/एसए और संयुक्त ऑडिटर नियुक्त करने को लेकर 2020-22 की कुछ तिमाही का समय लेने की अनुमति दे दी है।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर


लेखक के बारे में