आरबीआई ने रेपो दर को स्थिर रखा, सीआरआर में कटौती की, वृद्धि अनुमान घटाया

आरबीआई ने रेपो दर को स्थिर रखा, सीआरआर में कटौती की, वृद्धि अनुमान घटाया

आरबीआई ने रेपो दर को स्थिर रखा, सीआरआर में कटौती की, वृद्धि अनुमान घटाया
Modified Date: December 6, 2024 / 02:01 pm IST
Published Date: December 6, 2024 2:01 pm IST

(तस्वीरों के साथ)

मुंबई, छह दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मुद्रास्फीति के जोखिम का हवाला देते हुए शुक्रवार को अपनी प्रमुख ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बैंकों के पास धन बढ़ाने के लिए नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती कर दी।

 ⁠

इसके साथ ही आरबीआई ने आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के बीच मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि अनुमान को 7.2 प्रतिशत के पिछले अनुमान से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया।

जुलाई-सितंबर की तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अनुमान से कहीं अधिक गिरावट देखी गई और यह सात तिमाहियों में सबसे कम 5.4 प्रतिशत पर रही।

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने लगातार 11वीं बैठक में नीतिगत ब्याज दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि एमपीसी के छह में से चार सदस्यों ने नीतिगत रुख को ‘तटस्थ’ बनाए रखते हुए रेपो दर को स्थिर रखने के लिए मतदान किया। वहीं समिति के बाहरी सदस्यों- नागेश कुमार और राम सिंह एक चौथाई अंक की कटौती के पक्ष में थे।

दास ने कहा कि सीआरआर को 0.50 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत कर दिया गया है जो 14 दिसंबर और 28 दिसंबर को दो चरणों में प्रभावी होगा। इस कटौती से बैंकों में 1.16 लाख करोड़ रुपये आएंगे और अल्पकालिक ब्याज दरों में नरमी आएगी तथा बैंक जमा दरों पर दबाव कम हो सकता है।

सीआरआर के तहत वाणिज्यिक बैंकों को अपनी जमा का एक निर्धारित हिस्सा नकदी के रूप में केंद्रीय बैंक के पास रखना होता है। इसे आखिरी बार 2020 में कम किया गया था।

दास ने कहा, ‘इस समय विवेक और व्यावहारिकता की मांग है कि हम सावधान रहें। यथास्थिति रखना ‘उचित और आवश्यक’ है।’

उन्होंने कहा कि यदि वृद्धि में नरमी एक बिंदु से आगे भी जारी रहती है तो उसे नीतिगत समर्थन की आवश्यकता हो सकती है।

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि अनुमान को घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया जबकि पहले उसने जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।

हालांकि दास ने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में नरमी अपने निचले स्तर पर पहुंच चुकी हैं और बाद के महीनों में त्योहारी खर्च और मजबूत कृषि उत्पादन के कारण इसमें तेजी देखी गई है।

इसके साथ आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को भी 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया है।

मुद्रास्फीति आरबीआई के लिए निर्धारित चार प्रतिशत लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है। अक्टूबर में कीमतें बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति 14 महीनों के उच्च स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई।

दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति में गिरावट की पुष्टि करने के लिए आंकड़ों का इंतजार करना होगा।

दास ने गवर्नर के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल की अपनी आखिरी मौद्रिक समीक्षा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्वारा कर्ज की लागत कम करने की सलाहों को नजरअंदाज किया।

दास का मौजूदा कार्यकाल 10 दिसंबर को खत्म हो रहा है लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से गवर्नर को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है। पिछली बार 2021 में दास को दूसरा कार्यकाल दिया गया था तो उसकी घोषणा एक महीने पहले ही कर दी गई थी।

आरबीआई गवर्नर ने अक्टूबर में कहा था कि ब्याज दरों में तत्काल कटौती ‘समय से बहुत पहले’ और ‘बहुत अधिक जोखिम वाला’ हो सकता है, और वह दरों में ढील देने की जल्दबाजी में नहीं हैं।

दास ने एमपीसी बैठक के बाद कहा, ‘एक केंद्रीय बैंक के तौर पर हमारा काम स्थिरता और विश्वास के एक लंगर की तरह है, जो यह सुनिश्चित करे कि अर्थव्यवस्था लगातार उच्च वृद्धि पर बनी रहे।’

आरबीआई ने रुपये पर दबाव के बीच अधिक पूंजी प्रवाह जुटाने के लिए अनिवासी भारतीयों की विदेशी मुद्रा जमा पर ब्याज दर सीमा भी बढ़ा दी है।

उन्होंने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति का दबाव तीसरी तिमाही में भी जारी रहेगा और सब्जियों की कीमतों में मौसमी सुधार के कारण चौथी तिमाही से ही कम होना शुरू होगा।

आरबीआई के इन फैसलों पर कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा, ‘मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखने के साथ आरबीआई ने नकदी में कमी को ध्यान में रखा है और सीआरआर में कटौती की है। हमें फरवरी की बैठक में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की गुंजाइश दिख रही है।’

इक्रा लि. की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘रेपो दर को अपरिवर्तित रखने का एमपीसी का निर्णय उम्मीद के अनुरूप है। इसका कारण खुदरा मुद्रास्फीति का आरबीआई के संतोषजनक स्तर की ऊपरी सीमा छह प्रतिशत से अधिक होना है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान में तेज गिरावट के बाद सीआरआर में 0.5 प्रतिशत की कटौती से वृद्धि को समर्थन मिलेगा। यदि दिसंबर 2024 तक खुदरा मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से नीचे आ जाती है, तो फरवरी 2025 में रेपो में कटौती की काफी संभावना है।’’

एमपीसी की अगली बैठक अगले साल पांच से सात फरवरी को होगी।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण


लेखक के बारे में