बैंक ऋण प्रावधान के लिए ‘अपेक्षित नुकसान’ के नजरिये को अपना सकता है रिजर्व बैंक

बैंक ऋण प्रावधान के लिए 'अपेक्षित नुकसान' के नजरिये को अपना सकता है रिजर्व बैंक

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  • Publish Date - September 30, 2022 / 12:55 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:16 PM IST

मुंबई, 30 सितंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक ऋण प्रावधान के लिए ‘अपेक्षित नुकसान’ के नजरिये को अपनाने पर विचार कर रहा है।

बैंक इस समय ‘हो चुके नुकसान’ के नजरिये का पालन करते हैं, जहां किसी संपत्ति के खराब होने के बाद प्रावधान के रूप में धनराशि अलग रखी जाती है।

दास ने प्रस्तावित बदलाव को ‘‘अधिक विवेकपूर्ण और दूरंदेशी नजरिया’’ बताया और कहा कि हितधारकों की टिप्पणी के लिए जल्द ही एक चर्चा पत्र जारी किया जाएगा।

उन्होंने द्विमासिक समीक्षा की घोषणा के बाद कहा, ‘‘हम बैंकों द्वारा ऋण प्रावधान के लिए ‘अपेक्षित नुकसान आधारित नजरिये’ पर एक चर्चा पत्र जारी करेंगे।’’

उन्होंने कहा कि संभावित नुकसान पर प्रावधान करने या धनराशि अलग रखने का नजरिया विश्वस्तर पर स्वीकृत विवेकपूर्ण मानदंड है।

बड़े गैर बैंक ऋणदाता 2018 से ही प्रावधान करने के लिए अपेक्षित नुकसान नजरिये का पालन कर रहे हैं। वाणिज्यिक बैंकों से भी 2018 में ही अपेक्षित नुकसान के नजरिये को अपनाने की उम्मीद थी, लेकिन बैंकिंग विनियमन कानून में कुछ आवश्यक संशोधन लंबित होने के चलते इसे लागू नहीं किया जा सका।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय