आरबीआई राज्यों को नकदी उपलब्ध कराने के लिये ओवरड्राफ्ट समेत अन्य सुविधाएं 31 मार्च तक जारी रखेगा

आरबीआई राज्यों को नकदी उपलब्ध कराने के लिये ओवरड्राफ्ट समेत अन्य सुविधाएं 31 मार्च तक जारी रखेगा

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  • Publish Date - October 8, 2021 / 05:38 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:17 PM IST

मुंबई, आठ अक्टूबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में महामारी से प्रभावित राज्यों की वित्तीय समस्याओं को दूर करने के लिये उठाये गये कदमों को चालू वित्त वर्ष के अंत तक जारी रखने का निर्णय किया। इसके तहत अस्थायी कर्ज के उपाय अर्थोपाय अग्रिम (मीन्स एंड एडवांसेज-डब्ल्यूएमए) और ओवरड्राफ्ट व्यवस्था के तहत बढ़ी हुई सुविधाएं चालू वित्त वर्ष तक बरकरार रखी जाएगी।

रिजर्व बैंक ने कहा कि सुधीर श्रीवास्तव की अगुवाई वाली राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिये डब्ल्यूएमए सीमा की समीक्षा करने वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर अंतरिम तौर पर अर्थोपाय अग्रिम की सीमा सितंबर तक बढ़ाकर 51,560 करोड़ रुपये कर दी गयी थी। इसका मकसद राज्यों को महामारी के दौरान वित्तीय मोर्चे पर होने वाली कठिनाइयों को दूर करना था।

केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी को लेकर अनिश्चतताओं को देखते हुए, बढ़ी हुई सीमा के साथ अर्थोपाय अग्रिम की व्यवस्था 31 मार्च, 2022 तक जारी रखने का फैसला किया गया है।’’

दास के अनुसार यह भी निर्णय किया गया है कि महामारी से निपटने के लिये जो अन्य उदार रुख अपनाने का निर्णय किया गया है, उसे चालू वित्त वर्ष के अंत तक जारी रखा जाएगा। इसमें एक तिमाही में ओवरड्राफ्ट के लिये अधिकतम दिनों की संख्या 36 से बढ़ाकर 50 दिन करना तथा लगातार ओवरड्राफ्ट की सुविधा 14 दिन से बढ़ाकर 21 दिन किया जाना शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि इन उपायों से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नकदी प्रवाह के बेहतर तरीके से प्रबंधन में मदद मिलेगी। गवर्नर ने कहा कि इस बारे में ब्योरा अलग से जारी किया जाएगा।

केयर रेटिंग्स के अनुसार ज्यादातर राज्य राजस्व की कमी की भरपाई आरबीआई द्वारा उपलब्ध करायी गयी सुविधाओं…विशेष निकासी सुविधा (एसडीएफ) और डब्ल्यूएमए… के जरिये कर रहे हैं।

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 21 जुलाई तक डब्ल्यूएमए के तहत कर्ज पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 35 प्रतिशत बढ़कर 92,000 करोड़ रुपये रहा। हालांकि, जुलाई के मध्य और अगस्त में इसमें कमी आयी। इसका कारण जीएसटी क्षतिपूर्ति के रूप में केंद्र से 75,000 करोड़ रुपये की प्राप्ति तथा महामारी की रोकथाम के लिये लगाये लॉकडाउन में ढील है।

भाषा

रमण अजय

अजय