नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) वाणिज्यिक बैंकों के वित्तीय सेवा कारोबार पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अंतिम दिशानिर्देशों से अब 12 बैंक समूहों के लिए बड़े पुनर्गठन की आवश्यकता नहीं है और इसे टाल दिया गया है।
क्रिसिल रेटिंग्स ने मंगलवार को यह जानकारी दी और कहा कि इन बैंकों में संचयी रूप से क्षेत्रीय अग्रिमों का 55 प्रतिशत हिस्सा है।
अंतिम दिशानिर्देशों का उद्देश्य बैंक समूह संस्थाओं में विनियमों को संरेखित करके किसी भी नियामक मध्यस्थता को समाप्त करना है। इससे संरचनात्मक मजबूती मिलगी, साथ ही व्यवसाय संचालन में सुदृढ़ होगा।
क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, वाणिज्यिक बैंकों के वित्तीय सेवा व्यवसायों पर अंतिम दिशानिर्देश ‘‘ प्रमुख बैंक समूहों के भीतर अतिव्यापी ऋण गतिविधियों के संबंध में मजबूती प्रदान करते हैं। इनके अभाव में भारत में 12 बैंक समूहों को अपने ऋण व्यवसायों का पुनर्गठन करना पड़ता।’’
इससे पहले, अक्टूबर 2024 में जारी मसौदा दिशानिर्देशों में प्रस्ताव दिया गया था कि केवल एक बैंक समूह इकाई ही एक विशिष्ट प्रकार का व्यवसाय कर सकती है जिसमें बैंक तथा उसकी समूह संस्थाओं के बीच ऋण गतिविधियों में कोई दोहराव (ओवरलैप) नहीं होगा।
क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक सुभा श्री नारायणन ने कहा, ‘‘ यदि मसौदा दिशानिर्देशों को समग्र रूप से लागू किया गया होता तो 12 बैंक समूहों (जिनकी क्षेत्रीय अग्रिमों में 55 प्रतिशत हिस्सेदारी हैं) को अपने ऋण कारोबार के पुनर्गठन की आवश्यकता होती। इससे इन व्यक्तिगत बैंकों के समेकित अग्रिमों का दो से छह प्रतिशत प्रभावित होता।’’
उन्होंने कहा कि हालांकि, अंतिम दिशानिर्देशों के अनुसार बैंक समूह संस्थाओं को निदेशक मंडल की मंजूरी के अधीन, ‘ओवरलैपिंग’ ऋण व्यवसाय जारी रखने की अनुमति है। इससे उनके संचालन में कोई व्यवधान नहीं होगा। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बैंक और उनकी समूह संस्थाएं अपनी-अपनी क्षमताओं का लाभ उठाते हुए, लागत-प्रभावी तरीके से अलग-अलग ग्राहक वर्गों को सेवाएं प्रदान कर सकते हैं।
भाषा निहारिका पाण्डेय
पाण्डेय