आरबीआई का अप्रत्याशित लाभांश ‘‘सकारात्मक’’,इसका इस्तेमाल नई सरकार की प्राथमिकताएं स्पष्ट करेगा:रेटिंग एजेंसी

आरबीआई का अप्रत्याशित लाभांश ‘‘सकारात्मक’’,इसका इस्तेमाल नई सरकार की प्राथमिकताएं स्पष्ट करेगा:रेटिंग एजेंसी

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  • Publish Date - May 24, 2024 / 01:42 PM IST,
    Updated On - May 24, 2024 / 01:42 PM IST

नयी दिल्ली, 24 मई (भाषा) आरबीआई से 2.1 लाख करोड़ रुपये का अप्रत्याशित लाभांश देश की राजकोषीय स्थिति के लिए ‘‘सकारात्मक’’ है और इसका इस्तेमाल नई सरकार की राजकोषीय प्राथमिकताओं को स्पष्ट करेगा। वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने शुक्रवार को यह बात कही।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निदेशक मंडल ने इस सप्ताह की शुरुआत में 2023-24 में अर्जित मुनाफे से सरकार को 2.1 लाख करोड़ रुपये का लाभांश देने का फैसला किया। यह सरकार द्वारा निर्धारित बजट 1.02 लाख करोड़ रुपये से दोगुने से भी अधिक है।

फिच रेटिंग्स के एशिया-प्रशांत ‘सॉवरेन्स’ निदेशक जेरेमी ज़ूक ने कहा कि निरंतर घाटे में कमी, खासकर अगर टिकाऊ राजस्व बढ़ाने वाले सुधारों द्वारा समर्थित होत तो मध्यम अवधि में भारत की रेटिंग बुनियादी बातों के लिए सकारात्मक होगी।

ज़ूक ने ईमेल के जरिए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ लाभांश का उपयोग चाहे इसे बचाया जाए या अतिरिक्त खर्च के लिए किया जाए…सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं के बारे में संकेत प्रदान कर सकता है।’’

फिच ने भारत को स्थिर परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी’ रेटिंग दी है।

अन्य रेटिंग एजेंसी मूडीज रेटिंग्स ने कहा कि आरबीआई द्वारा उम्मीद से कहीं अधिक लाभांश हस्तांतरण का राजकोषीय प्रभाव इस बात से निर्धारित होगा कि आने वाली सरकार इन अतिरिक्त संसाधनों के साथ क्या करने का निर्णय लेती है।

मूडीज रेटिंग्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष क्रिश्चियन डी. गुज़मैन ने कहा कि एक तरफ, सरकार व्यय पर संयम बरत सकती है और अपने घाटे के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ने में मदद कर सकती है। इससे उधार लेने की आवश्यकताएं कम हो जाएंगी जिससे बाजार में अन्य उद्देश्यों के लिए नकदी मुक्त हो सकती है।

उन्होंने कहा कि सरकार इस अतिरिक्त धनराशि का नई नीतियों और पहलों के लिए भी इस्तेमाल कर सकती है।

वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि आरबीआई से अतिरिक्त लाभांश सकल घरेलू उत्पाद का करीब 0.35 प्रतिशत है। भारत को समय के साथ ‘रेटिंग समर्थन’ मिल सकता है, अगर वह राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए अप्रत्याशित लाभांश का इस्तेमाल करता है।

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के विश्लेषक यीफर्न फुआ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ विनिवेश प्राप्तियों या अंतिम बजट में व्यय के लिए अतिरिक्त आवंटन जैसे क्षेत्रों में संभावित राजस्व की कमी के कारण अतिरिक्त लाभांश से घाटे में पूरी कमी नहीं आ सकती है। यदि इससे घाटा पूरी तरह कम हो जाता है, तो हमारा मानना ​​है कि इससे राजकोषीय समेकन तेज हो जाएगा, जो बदले में समय के साथ रेटिंग समर्थन प्रदान करेगा।’’

इन तीनों वैश्विक रेटिंग एजेंसियों फिच, एसएंडपी और मूडीज ने स्थिर परिदृश्य के साथ भारत को सबसे कम निवेश ‘ग्रेड’ रेटिंग दी है। निवेशक रेटिंग को देश की साख और उधार लेने की लागत पर प्रभाव के मापदंड के रूप में देखते हैं।

भाषा निहारिका

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