रूस-यूक्रेन युद्ध से तेल कीमतों में तेजी भारत की कमर तोड़ रही है: जयशंकर |

रूस-यूक्रेन युद्ध से तेल कीमतों में तेजी भारत की कमर तोड़ रही है: जयशंकर

रूस-यूक्रेन युद्ध से तेल कीमतों में तेजी भारत की कमर तोड़ रही है: जयशंकर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:56 PM IST, Published Date : September 28, 2022/6:42 pm IST

वाशिंगटन, 28 सितंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमत में तेजी से भारत काफी चिंतित है और यह ‘हमारी कमर तोड़ रही है।’

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ द्विपक्षीय बातचीत के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने मंगलवार को कहा कि विकासशील देशों में ऊर्जा जरूरतों के समाधान को लेकर काफी चिंता है।

यूक्रेन युद्ध के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘हमने निजी तौर पर, सार्वजनिक रूप से और लगातार यह कहा है कि यह झड़प किसी के हित में नहीं है। मामले के समाधान का बेहतर तरीका बातचीत और कूटनीति है।’’

रूस से आने वाले तेल की कीमत सीमा तय किये जाने की जी-7 देशों की पहल के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, ‘‘हम तेल के दाम को लेकर काफी चिंतित हैं। हमारी अर्थव्यवस्था का आकार 2,000 डॉलर प्रति व्यक्ति है, लेकिन जब तेल की कीमत हमारी कमर तोड़ रही है, तब यह हमारे लिये बड़ी चिंता की बात है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कीमत सीमा के बारे में हमारी सुबह में बातचीत हुई है। इस विषय पर विशेषज्ञ लोग काम कर रहे हैं…।’’

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘पिछले कुछ महीनों से ऊर्जा बाजार काफी दबाव में हैं। वैश्विक स्तर पर विकासशील और अल्पविकसित देशों के लिये न केवल बढ़ती कीमतों को लेकर बल्कि उपलब्धता के मामले में भी सीमित ऊर्जा के लिये प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया है।’’

जयशंकर ने कहा, ‘‘अभी हमारी चिंता यह है कि ऊर्जा बाजार पहले से ही दबाव में है, यह कम होना चाहिए। हम किसी भी स्थिति का स्पष्ट रूप से मूल्यांकन करेंगे कि यह वैश्विक स्तर पर दक्षिण (विकासशील और अल्पविकसित देश) में हमें और अन्य देशों को कैसे प्रभावित करता है। विकासशील देशों के बीच ऊर्जा सुरक्षा की जरूरत के समाधान को लेकर काफी चिंता है।’’

भारत का रूस से तेल आयात अप्रैल से 50 गुना से अधिक बढ़ा है और अब विदेशों से लिये जाने वाले कुल तेल में इसकी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत हो गयी है।

यूक्रेन युद्ध से पहले भारत के आयातित तेल में रूस की हिस्सेदारी केवल 0.2 प्रतिशत थी।

विकसित देश यूक्रेन पर हमले के बाद धीरे-धीरे रूस से ऊर्जा खरीद कम कर रहे हैं।

पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से रूस पर बहुत कम प्रभाव पड़ा है। इसको देखते हुए जी -7 देशों और यूरोपीय संघ ने रूस के राजस्व को सीमित करने के लिये वहां के कच्चे तेल और परिष्कृत उत्पादों के लिये मूल्य सीमा तय करने का प्रस्ताव किया है।

अमेरिका ने भारत से रूसी तेल की मूल्य सीमा लगाने वाले देशों के गठबंधन में शामिल होने को कहा है। भारत का कहना है कि वह कोई भी निर्णय लेने से पहले सावधानीपूर्वक पूरे मामले पर विचार करेगा।

ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका, यूरोप और दुनिया के अन्य देशों में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये रात-दिन काम कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम रूसी तेल के लिये मूल्य सीमा लगाने पर काम कर रहे हैं…यह निश्चित रूप से रूस के अतिरिक्त राजस्व को प्रभावित करेगा जिसका उपयोग वह यूक्रेन के खिलाफ कर रहा है…।’’

भारत के रूस से सैन्य उपकरण खरीदे जाने के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हम कहां से अपने सैन्य उपकण प्राप्त करते हैं, वह कोई मुद्दा नहीं है। यह एक नया मुद्दा बन गया है जो विशेष रूप से भू-राजनीतिक परिस्थितियों के कारण है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम दुनियाभर में संभावना देखते हैं। हम प्रौद्योगिकी की गुणवत्ता, क्षमताओं की गुणवत्ता और उन शर्तों को देखते हैं जिनपर विशेष उपकरण पेश किये जाते हैं। हम अपने राष्ट्र हित के आधार पर विकल्प चुनते हैं।’’

भाषा

रमण अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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