न्यायालय का तपोवन-विष्णुगढ़, ऋषि गंगा परियोजनाओं के मामले में हस्तक्षेप से इनकार |

न्यायालय का तपोवन-विष्णुगढ़, ऋषि गंगा परियोजनाओं के मामले में हस्तक्षेप से इनकार

न्यायालय का तपोवन-विष्णुगढ़, ऋषि गंगा परियोजनाओं के मामले में हस्तक्षेप से इनकार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:56 PM IST, Published Date : September 26, 2022/10:20 pm IST

नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तराखंड में तपोवन-विष्णुगढ़ और ऋषि गंगा पनबिजली परियोजनाओं के मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया।

उच्च न्यायालय ने इन परियोजनओं को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय ने जुलाई 2021 के अपने फैसले में याचिका के ‘खास मकसद से प्रेरित’ होने की आशंका जताते हुए कहा था कि यह किसी अज्ञात व्यक्ति या इकाई के इशारे पर दायर की गयी है।

अदालत ने कहा था कि वह याचिका की प्रामाणिकता को लेकर आश्वस्त नहीं है। शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर उच्च न्यायालय के इस फैसले को चुनौती दी गयी थी।

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में चीजें स्पष्ट नहीं है और हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत इस आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं।’’

न्यायालय ने इस टिप्पणी के साथ ही इस विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया।

उच्च न्यायालय के समक्ष चमोली जिले के पांच याचियों ने क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति का हवाला देते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा उत्तराखंड सरकार को ऋषि गंगा और तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजनाओं को दी गयी पर्यावरण मंजूरी रद्द करने का निर्देश देने की मांग की थी।

इन याचियों का कहना था कि परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी फरवरी 2021 के पहले दी गयी थी। लेकिन इस क्षेत्र में आई बाढ़ के बाद मंजूरी का कोई मतलब नहीं रह गया है।

उत्तराखंड के चमोली जिले में धौलीगंगा नदी पर 520 मेगावॉट क्षमता की तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना बनायी जा रही है। वहीं 150 मेगावॉट क्षमता की ऋषि गंगा पनबिजली परियोजना राज्य में ऋषि गंगा नदी / बेसिन पर बनाई जानी है।

भाषा

रमण प्रेम

प्रेम

 

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