सेबी प्रमुख परामर्श कंपनियों को लेकर अपनी स्थिति साफ करें: हिंडनबर्ग

सेबी प्रमुख परामर्श कंपनियों को लेकर अपनी स्थिति साफ करें: हिंडनबर्ग

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  • Publish Date - August 12, 2024 / 08:56 PM IST,
    Updated On - August 12, 2024 / 08:56 PM IST

नयी दिल्ली, 12 अगस्त (भाषा) हिंडनबर्ग रिसर्च ने बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) प्रमुख के खिलाफ आरोपों का सिलसिला जारी रखा है। अमेरिकी शोध एवं निवेश कंपंनी ने उनसे परामर्श कंपनी के ग्राहकों के बारे में स्थिति साफ करने को कहा है, जिसमें पद पर रहते हुए भी उनकी हिस्सेदारी थी।

माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के बयान के कुछ घंटे बाद हिंडनबर्ग ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा है कि उनकी प्रतिक्रिया में कई महत्वपूर्ण स्वीकारोक्ति शामिल हैं। कंपनी ने कई नये सवाल उठाये हैं।

इससे पहले बुच और उनके पति ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर आरोपों को निराधार बताया है। दंपति ने कहा कि हिंडनबर्ग पूंजी बाजार नियामक की विश्वसनीयता पर हमला कर रही है और चेयरपर्सन के ‘चरित्र हनन’ का भी प्रयास कर रही है।

हिंडनबर्ग ने कहा, ‘‘बुच ने जो प्रतिक्रिया दी है, उससे यह अब सार्वजनिक रूप से साफ हो गया है कि बरमूडा/मॉरीशस कोष ढांचे में उनका निवेश था। यह वही कोष है जिसक विनोद अदाणी ने कथित तौर पर धन की हेराफेरी के लिए इस्तेमाल किया। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि यह कोष उनके पति के बचपन के दोस्त चला रहे था, जो उस समय अदाणी समूह में निदेशक थे।’’

हिंडनबर्ग ने शनिवार को एक रिपोर्ट में कहा कि बुच दंपति ने बरमूडा स्थित कोष की मॉरीशस पंजीकृत इकाई में अज्ञात राशि का निवेश करने के लिए सिंगापुर में एक संपत्ति प्रबंधन कंपनी के साथ 2015 में एक खाता खोला था। मॉरीशस कोष एक अदाणी निदेशक चला रहा था। इसकी मूल इकाई वह माध्यम था जिसका उपयोग अदाणी की दो एसोसिएट ने कोष की हेराफेरी करने और शेयर की कीमतें बढ़ाने के लिए किया था।

हिंडनबर्ग ने यह भी आरोप लगाया कि अप्रैल, 2017 से मार्च, 2022 तक सिंगापुर की एक परामर्श कंपनी, अगोरा पार्टनर्स में उनकी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। जबकि उस दौरान वह सेबी में पूर्णकालिक सदस्य थीं। सेबी चेयरपर्सन के रूप में नियुक्ति के दो सप्ताह बाद उन्होंने शेयर अपने पति को दे दिए।

यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या अगोरा ने सार्वजनिक रूप से भारतीय कंपनियों में ग्राहक के रूप में कारोबार किया।

इसके जवाब में बुच दंपति ने रविवार को कहा कि निवेश 2015 में किया गया था। यानी 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति उसके बाद मार्च, 2022 में चेयरपर्सन के रूप में पदोन्नति से पहले किया गया। यह निवेश निजी तौर पर ‘सिंगापुर में रहने वाले नागरिकों’ की क्षमता से किये गये। सेबी में उनकी नियुक्ति के बाद ये कोष निष्क्रिय हो गए।

हिंडनबर्ग ने कहा, ‘‘सेबी को अदाणी मामले से संबंधित निवेश कोषों की जांच करने का काम सौंपा गया था। इसमें वह कोष भी शामिल था, जिसमें बुच ने व्यक्तिगत रूप से निवेश किया था। साथ ही कोष के प्रायोजक भी वही थे, जिसके बारे में मूल रिपोर्ट में कहा गया है। यह स्पष्ट रूप से हितों के टकराव का बड़ा मामला है।’’

इस बीच, कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों ने हिंडनबर्ग के आरोपों की की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग की है।

वहीं भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया है कि यह कुछ और नहीं बल्कि नरेन्द्र मोदी विरोधी अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस का किया कराया है। उन्होंने हिंडनबर्ग में निवेश किया था और इसकी रिपोर्ट का मकसद भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करना और देश में निवेश को प्रभावित करना है।

कुछ लोगों का मानना है कि बुच पर हिंडनबर्ग के आरोप 27 जून को सेबी की तरफ से अमेरिकी कंपनी, संस्थापक नाथन एंडरसन के साथ न्यूयॉर्क स्थित हेज फंड प्रबंधक मार्क किंगडन और उनकी किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट को दिये गये कारण बताओ नोटिस का नतीजा है। उन्हें नोटिस अदाणी के शेयरों में पिछले साल की गिरावट के साथ मुनाफा कमाने और भारतीय कानून के उल्लंघन को लेकर दिया गया।

हिंडनबर्ग के अनुसार, ‘‘बुच के बयान में यह भी दावा किया गया है कि उन्होंने जो दो परामर्श कंपनियां…भारतीय इकाई और सिंगापुर में अस्पष्ट इकाई… स्थापित कीं, 2017 में सेबी में उनकी नियुक्ति पर तुरंत निष्क्रिय हो गईं। बाद में 2019 में उनके पति ने इनकी कमान संभाल ली। हालांकि, इसकी नवीनतम शेयरधारिता सूची के अनुसार 31 मार्च, 2024 तक, अगोरा एडवाइजरी लि. (इंडिया) का 99 प्रतिशत स्वामित्व अब भी माधबी पुरी बुच के पास है, न कि उनके पति के पास। यह इकाई वर्तमान में सक्रिय है और परामर्श से आय कमा रही है।’’

इसके अलावा, सिंगापुर के रिकॉर्ड के अनुसार, वह 16 मार्च, 2022 तक अगोरा पार्टनर्स सिंगापुर में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ शेयरधारक बनी रहीं और सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में पद पर बने रहने के दौरान पूरे समय वह इसकी प्रमुख बनी रहीं। उन्होंने सेबी चेयरपर्सन के रूप में नियुक्ति के दो सप्ताह बाद ही अपने शेयर पति के नाम पर स्थानांतरित कर दिए।’’

बुच दंपति ने ‘रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा है कि आरोप में तनिक भी सच्चाई नहीं है।

सेबी ने भी अपने चेयरपर्सन का बचाव किया है। नियामक ने दो पृष्ठ के बयान में कहा कि बुच ने समय-समय पर प्रासंगिक खुलासे किए थे और उन्होंने हितों के संभावित टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग भी कर लिया था।

अदाणी समूह ने भी सेबी प्रमुख के साथ किसी भी वाणिज्यिक सौदे से इनकार किया है। संपत्ति प्रबंधन इकाई 360एनई (पूर्व में आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट कहा जाता था) ने अलग से कहा कि आईपीई-प्लस फंड-1 में बुच का निवेश कुल प्रवाह का 1.5 प्रतिशत से कम था और इसने अदाणी के शेयरों में कोई निवेश नहीं किया।

हिंडनबर्ग ने कहा कि उन्होंने जिस सिंगापुर की परामर्श इकाई की स्थापना की, वह सार्वजनिक रूप से आय या लाभ के बारे अपनी वित्तीय रिपोर्ट नहीं देती है। इसीलिए यह देखना असंभव है कि सेबी में उनके कार्यकाल के दौरान इस इकाई ने कितना पैसा कमाया है।’’

अमेरिकी शोध कंपनी ने कहा, ‘‘भारतीय इकाई में अब भी 99 प्रतिशत स्वामित्व सेबी चेयरपर्सन के पास है। उसने वित्त वर्षों (2021-22, 2022-23 और 2023-24) के दौरान 2.39 करोड़ रुपये का राजस्व कमाया है। वित्तीय विवरण के अनुसार जबकि वह चेयरपर्सन के रूप में कार्यरत थी।

हिंडनबर्ग ने ‘व्हिसलब्लोअर’ (गड़बड़ी को सामने लाने वाला) दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि ‘सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में सेवा करते समय बुच ने अपने पति के नाम का उपयोग करके कारोबार करने के लिए अपने व्यक्तिगत ई-मेल का उपयोग किया।’

अमेरिकी शोध कंपनी के अनुसार, बुच ने कहा कि उनके पति ने 2019 से शुरू होने वाली परामर्श इकाइयों का उपयोग अज्ञात ‘भारतीय उद्योग में प्रमुख ग्राहकों’ के साथ लेनदेन करने के लिए किया।

हिंडनबर्ग ने सवाल किया है, ‘क्या सेबी प्रमुख इन मुद्दों की पूर्ण, पारदर्शी और सार्वजनिक जांच के लिए प्रतिबद्ध हैं?’

भाषा

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रमण अजय

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