सेबी ने आईपीओ से जुटाई गई राशि के इस्तेमाल संबंधी नियमों को कड़ा किया

सेबी ने आईपीओ से जुटाई गई राशि के इस्तेमाल संबंधी नियमों को कड़ा किया

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  • Publish Date - January 17, 2022 / 04:03 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:05 PM IST

नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से संबंधित नियमों को सख्त करते हुए भविष्य के ‘अज्ञात’ अधिग्रहणों के लिए निर्गम से प्राप्त राशि के इस्तेमाल की सीमा तय करते हुए प्रमुख शेयरधारकों की तरफ से जारी किए जाने वाले शेयरों की संख्या को भी सीमित कर दिया है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक अधिसूचना में कहा है कि एंकर निवेशकों की लॉक-इन अवधि 90 दिनों तक बढ़ा दी गई है और अब सामान्य कंपनी कामकाज के लिए आरक्षित कोष की निगरानी भी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां करेंगी।

इसके अलावा सेबी ने गैर-संस्थागत निवेशकों(एनआईआई) के लिए आवंटन पद्धति को भी संशोधित किया है। इन सभी बदलावों को अमल में लाने के लिए सेबी ने पूंजी निर्गम एवं खुलासा अनिवार्यता (आईसीडीआर) नियमन के तहत नियामकीय मसौदे के विभिन्न पहलुओं में संशोधन किए हैं।

सेबी ने यह संशोधन नए दौर की प्रौद्योगिकी कंपनियों के आईपीओ के माध्यम से वित्त जुटाने के लिए सेबी के पास प्रस्ताव का मसौदा जमा करने में आई तेजी के बीच किया है।

सेबी ने कहा कि अगर कोई कंपनी अपने निर्गम दस्तावेज में भावी वृद्धि के लिए एक प्रस्ताव रखती है, लेकिन यदि उसके किसी अधिग्रहण या निवेश लक्ष्य को चिह्नित नहीं किया है तो इसके लिए रखी गई राशि कुल जुटाई गई रकम के 35 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।

हालांकि, सेबी ने कहा है कि यह पाबंदी उस समय लागू नहीं होगी जब प्रस्तावित अधिग्रहण या रणनीतिक निवेश उद्देश्य निर्दिष्ट किया गया है और निर्गम दस्तावेज जमा करने के समय के समुचित खास खुलासे किए गए हों।

जानकारों का कहना है कि भविष्य के ऐसे अधिग्रहण जिनकी पहचान नहीं की गई है, के लिए कोष जुटाने की क्षमता सीमित करने से कुछ यूनिकॉर्न कंपनियों की धन जुटाने की योजना पर असर पड़ेगा। इसके अलावा सेबी ने कहा कि सामान्य कॉरपोरेट उद्देश्य के लिए जुटाई गई रकम की निगरानी को रेटिंग एजेंसियों के दायरे में लाया जाएगा।

भाषा

प्रेम अजय

अजय