पिछली तिथि से कर मामले के निपटान को कंपनियों को भविष्य के दावों की क्षतिपूर्ति का वादा करना होगा |

पिछली तिथि से कर मामले के निपटान को कंपनियों को भविष्य के दावों की क्षतिपूर्ति का वादा करना होगा

पिछली तिथि से कर मामले के निपटान को कंपनियों को भविष्य के दावों की क्षतिपूर्ति का वादा करना होगा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:03 PM IST, Published Date : October 2, 2021/2:32 pm IST

नयी दिल्ली, दो अक्टूबर (भाषा) ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी पीएलसी और वोडाफोन समूह जैसी कंपनियों को अपने पिछली तारीख से कराधान के मामले को निपटाने के लिए भारत सरकार को भविष्य में दावों के संदर्भ में क्षतिपूर्ति का भरोसा देना होगा। सरकार द्वारा पिछली तिथि के कर विवादों के निपटान के लिए अधिसूचित नियमों में यह व्यवस्था की गई है।

वित्त मंत्रालय द्वारा एक अक्टूबर को अधिसूचित नियमों के अनुसार इन कंपनियों द्वारा भविष्य के दावों की क्षतिपूर्ति का वादा किए जाने के बाद सरकार 2012 के पिछली तिथि के कर कानून का इस्तेमाल कर की गई कर मांग को वापस ले लेगी। वहीं इस कर मांग के जरिये सरकार ने कंपनियों से जो भी राशि जुटाई है उसे वापस किया जाएगा।

नियमों के अनुसार कंपनियों को उनकी राशि के भुगतान में कम से कम दो से तीन महीने का समय लगेगा।

कंपनियों को सरकार के खिलाफ दायर किसी भी मुकदमे या किसी मंच पर लंबित प्रक्रिया को वापस लेना होगा। साथ ही कंपनियों को वादा करना होगा कि वे भविष्य में इस तरह का कोई दावा नहीं करेंगी।

इसके अलावा कंपनियों या अन्य संबंधित पक्षों को सरकार के समक्ष यह बांड भी देना होगा कि वे भारत सरकार या उनसे संबद्ध इकाइयों से किसी तरह की क्षतिपूर्ति की मांग नहीं करेंगी। कंपनियों को आश्वासन बांड के अलावा आयकर विभाग के समक्ष बोर्ड की मंजूरी के साथ इस बारे में सरकार के समक्ष घोषणा भी देनी होगी।

नियमों के अनुसार, कंपनियों को सभी तरह की लंबित कानूनी प्रक्रियाएं वापस लेने का हलफनामा सरकार के समक्ष 45 दिन में देना होगा।

इसके बाद संबंधित आयकर प्रधान आयुक्त को आवेदन मिलने के बाद 15 दिन में इसे स्वीकार करने का प्रमाणन देना होगा या इसे खारिज करने का आदेश पारित करना होगा।

एक कर विशेषज्ञ ने कहा कि यह प्रमाणन मिलने के बाद कंपनियों के पास सभी संबंधित पक्षों से क्षतिपूर्ति के वादे की शर्त को पूरा करने के लिए 60 दिन का समय होगा। उसके बाद कंपनियों को राहत देने का आदेश 30 दिन के अंदर दिया जाएगा। इसके बाद ही रिफंड की प्रक्रिया शुरू होगी जिसमें कम से कम 10 दिन का समय लगेा।

कर विशेषज्ञ का कहना है कि यदि कंपनियां इस समयसीमा को कम भी करें तो भी फॉर्म 1 के तहत सरकार के पास ब्योरा जमा कराने में 15 दिन का समय लगेगा, क्योंकि यह काफी जटिल प्रक्रिया है।

कर विशेषज्ञ ने कहा कि यदि कंपनियों द्वारा इस पूरी प्रक्रिया को तेजी से भी निपटाया जाता है, तो भी उन्हें रिफंड पाने में कम से कम दो से तीन माह का समय लगेगा।

पिछली तारीख से कर कानून के जरिये सरकार की 1.2 अरब डॉलर की कर मांग के मामले में केयर्न एनर्जी को मध्यस्थता न्यायाधिकरण में जीत मिली थी। उसके बाद अगस्त में सरकार ने पिछली तिथि के सभी कर मामलों को वापस लेने के लिए इस कानून में संशोधन किया था।

इस कर मांग के जरिये सरकार ने विभिन्न कंपनियों से 8,100 करोड़ रुपये जुटाए थे, जिसे वह अब वापस लौटाएगी। इसमें से 7,900 करोड़ रुपये अकेले केयर्न को लौटाए जाने हैं।

भाषा अजय अजय कृष्ण

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)