सीतारमण का पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर एंट्रिक्स-देवास सौदे में धोखाधड़ी का आरोप |

सीतारमण का पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर एंट्रिक्स-देवास सौदे में धोखाधड़ी का आरोप

सीतारमण का पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर एंट्रिक्स-देवास सौदे में धोखाधड़ी का आरोप

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:17 PM IST, Published Date : January 18, 2022/6:07 pm IST

नयी दिल्ली, 18 जनवरी (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कांग्रेस की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर आरोप लगाया कि उसने देवास मल्टीमीडिया को राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्य से इस्तेमाल होने वाला एस-बैंड स्पेक्ट्रम देकर ‘‘धोखाधड़ी’’ की और ‘‘निंदनीय’’ सौदा किया।

उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार अब करदाताओं के पैसे बचाने के लिए हर अदालत में लड़ रही है, अन्यथा यह राशि मध्यस्थता फैसले के भुगतान में चली जाती, जो देवास ने 2005 के सौदे को रद्द करने पर जीता है।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 17 जनवरी को देवास मल्टीमीडिया के परिसमापन को इस आधार पर बरकरार रखा कि इसे धोखाधड़ी के इरादे से अंजाम दिया गया था।

उनकी यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है, जब देवास के शेयरधारकों ने 1.29 अरब डॉलर की वसूली के लिए विदेशों में भारतीय संपत्तियों को जब्त करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। देवास को इस धनराशि की भरपाई का आदेश अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरणों ने दिया था।

देवास को पेरिस में भारतीय संपत्तियों को जब्त करने के लिए फ्रांसीसी अदालत ने आदेश दिया है और कंपनी कनाडा में एयर इंडिया के धन को जब्त करने की मांग भी कर रही है।

सीतारमण ने एंट्रिक्स और देवास के बीच 2005 में हुए सौदे पर कहा कि यह देश के लोगों के साथ, देश के साथ धोखाधड़ी थी। उन्होंने कहा कि एस-बैंड स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल सिर्फ रक्षा उद्देश्यों के लिए किया जाता है, और उसे थोड़े से धन के बदले दे दिया गया।

वित्त मंत्री ने कहा कि देवास ने उन बातों को पूरा करने का वादा किया, जिन पर उसका अधिकार भी नहीं था।

देवास मल्टीमीडिया ने 2005 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत एस-बैंड उपग्रह स्पेक्ट्रम का उपयोग करके मोबाइल उपयोगकर्ताओं को मल्टीमीडिया सेवाएं दी जानी थीं।

यह सौदा 2011 में इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम की नीलामी धोखाधड़ी में हुई थी और सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य सामाजिक उद्देश्यों के लिए एस-बैंड उपग्रह स्पेक्ट्रम की जरूरत थी।

इसके बाद देवास मल्टीमीडिया ने इंटरनेशनल चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) में फैसले के खिलाफ मध्यस्थता कार्रवाई शुरू की। इसके अलावा देवास के निवेशकों द्वारा दो अन्य मध्यस्थता कार्रवाई भी शुरू की गईं। भारत को तीनों मामलों में हार का सामना करना पड़ा और नुकसान की भरपाई के लिए कुल 1.29 अरब डॉलर का भुगतान करने को कहा गया।

सीतारमण ने कहा कि उनकी सरकार करदाताओं के पैसे बचाने के लिए सभी अदालतों में लड़ रही है।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय

 

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