छोटी राशि के कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थान ब्याज दर को उचित स्तर पर रखें: सचिव नागराजू

छोटी राशि के कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थान ब्याज दर को उचित स्तर पर रखें: सचिव नागराजू

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  • Publish Date - November 13, 2025 / 04:07 PM IST,
    Updated On - November 13, 2025 / 04:07 PM IST

नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू ने बृहस्पतिवार को छोटी राशि के कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों (एमएफआई) से वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के लिए अपनी ब्याज दरें उचित रखने का आग्रह किया।

नागराजू ने एमएफआई के लिए आरबीआई द्वारा नियुक्त स्व नियामक संगठन, सा-धन के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मुझे कुछ एमएफआई की ब्याज दरें संतोषजनक नहीं लगती हैं। वास्तव में ऐसा इन संस्थानों की अक्षमताओं के कारण होता है।’’

उन्होंने कहा कि उच्च या अनुचित ब्याज दर का कारण लागत दक्षता और उत्पादकता हासिल करने में विफलता हो सकती है।

सचिव ने एमएफआई से आग्रह किया कि उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे उत्पादकता और लागत दक्षता हासिल करें जिससे कर्ज लेने वालों के लिए ब्याज दरें कम हों।

उन्होंने कहा कि जिन लोगों को पैसे की सख्त जरूरत होती है, वे ऊंची ब्याज दर पर उधार ले सकते हैं। लेकिन वे उसे वापस नहीं कर पाते, जिसके परिणामस्वरूप वित्तीय संस्थानों में दबाव वाली संपत्तियों में वृद्धि होती है।

इस क्षेत्र में दबाव के कारण खातों की संख्या घटकर मार्च, 2025 के अंत तक 3.4 लाख हो गई है, जो 31 मार्च, 2024 को 4.4 लाख थी।

नागराजू ने देश में छोटी राशि के कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि वित्तीय समावेश और महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए ये संस्थान बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये घर-घर जाकर कर्ज देते हैं।

उन्होंने एमएफआई से वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के लिए नए तरीके अपनाने का भी आग्रह किया।

नागराजू ने कहा, ‘‘हमारे पास अभी भी लगभग 30-35 करोड़ युवा हैं जिन्हें वित्तीय समावेश के दायरे में लाने की आवश्यकता है। बड़ी संख्या में सरकारी योजनाओं के बावजूद, हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी वित्तीय समावेश से बाहर है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर एमएफआई को ध्यान देना होगा।’’

उन्होंने कहा कि ऐसे नए कदम या उपाय लाने की आवश्यकता है ताकि वंचित आबादी एक संगठित ‘चैनल’ का हिस्सा बन सके।

इस मौके पर राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अध्यक्ष शाजी के वी ने कहा कि एमएफआई क्षेत्र में दबाव कम हो रहा है और इस क्षेत्र को सतर्क रहने की आवश्यकता है।

शाजी ने कहा कि नाबार्ड स्वयं सहायता समूह प्रणाली का डिजिटलीकरण कर रहा है और ग्रामीण क्रेडिट स्कोर भी विकसित कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम उन छोटी राशि के कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों के साथ ग्रामीण क्रेडिट स्कोर के लिए कुछ पायलट परियोजना कर रहे हैं जो काफी गरीब लोगों को ऋण देते हैं।’’

भाषा रमण अजय

अजय