गुणवत्ता चिंताओं से प्रभावित हो सकता है मसाला निर्यात : जीटीआरआई

गुणवत्ता चिंताओं से प्रभावित हो सकता है मसाला निर्यात : जीटीआरआई

  •  
  • Publish Date - May 1, 2024 / 07:22 PM IST,
    Updated On - May 1, 2024 / 07:22 PM IST

नयी दिल्ली, एक मई (भाषा) भारत को अपने मसाला निर्यात के संबंध में गुणवत्ता संबंधी मसलों को तत्काल और पारदर्शिता के साथ हल करने की जरूरत है क्योंकि मौजूदा गुणवत्ता संबंधी चिंताएं देश के मसाला निर्यात के आधे से अधिक हिस्से को खतरे में डाल सकती हैं। बुधवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि हर दिन नए देश भारतीय मसालों की गुणवत्ता के बारे में चिंता जता रहे हैं।

इसने कहा कि इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने और भारत के प्रसिद्ध मसाला उद्यान की प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए कार्रवाई की आवश्यकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘महत्वपूर्ण बाजारों में 70 करोड़ डॉलर का निर्यात दांव पर लगा है। कई देशों में नियामकीय कार्रवाई से संभावित रूप से मसाला निर्यात में आधे का नुकसान हो सकता है।’’

इसने कहा कि भारत को गुणवत्ता संबंधी मुद्दों को जल्द और पारदर्शिता के साथ हल करने की आवश्यकता है।

इसमें कहा गया है, ‘‘भारतीय मसालों में वैश्विक विश्वास को फिर से स्थापित करने के लिए त्वरित जांच और निष्कर्षों का प्रकाशन आवश्यक है। गलती करने वाली फर्मों को तत्काल परिणाम भुगतने चाहिए।’’

हांगकांग और सिंगापुर ने अपने उत्पादों में कैंसरकारी रसायन एथिलीन ऑक्साइड का पता लगाने के बाद लोकप्रिय ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके कारण उन्हें दुकानों से अनिवार्य रूप से वापस मंगाया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन घटनाओं में प्राथमिक उल्लंघनों में एथिलीन ऑक्साइड की उपस्थिति शामिल है, जो एक कैंसरकारी पदार्थ है जिसका उपयोग धूम्रशोधन के लिए धूमन एजेंट के रूप में किया जाता है।

जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजीत श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘यह स्थिति और खराब हो सकती है यदि यूरोपीय संघ, जो नियमित रूप से गुणवत्ता के मुद्दों पर भारतीय मसालों की खेप को अस्वीकार करता है। यूरोपीय संघ यदि ऐसा ही कदम उठाता है तो इससे अतिरिक्त 2.5 अरब डॉलर का असर हो सकता है, जिससे भारत के वैश्विक मसाला निर्यात का कुल संभावित नुकसान 58.8 प्रतिशत हो सकता है।’’

जीटीआरआई ने कुछ रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि अमेरिका, हांगकांग, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और अब माले ने प्रमुख भारतीय कंपनियों एमडीएच और एवरेस्ट द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले मसालों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं।

श्रीवास्तव ने कहा कि भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में इन देशों को लगभग 69.25 करोड़ डॉलर मूल्य के मसालों का निर्यात किया है, इसलिए सौदा बहुत ऊंचा है।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि सिंगापुर द्वारा स्थापित मिसालों के आधार पर हांगकांग और आसियान में की गई कार्रवाइयों से प्रभावित होकर चीन इसी तरह के उपायों को लागू करने का फैसला करता है, तो भारतीय मसाला निर्यात में भारी गिरावट आ सकती है। संभावित नतीजों से 2.17 अरब डॉलर मूल्य के निर्यात पर असर पड़ सकता है, जो भारत के वैश्विक मसाला निर्यात का 51.1 प्रतिशत भाग है।’’

श्रीवास्तव ने कहा कि अबतक भारतीय अधिकारियों की प्रतिक्रिया बहुत ही धीमी रही है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बाद, मसाला बोर्ड और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) दोनों ने नियमित नमूनाकरण शुरू कर दिया है, फिर भी इन या किसी अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा मसाले की गुणवत्ता के बारे में कोई निश्चित बयान जारी नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘खासकर गुणवत्ता आश्वासन के लिए मौजूद, व्यापक कानूनों और प्रक्रियाओं को देखते हुए स्पष्ट वक्तव्य की यह कमी निराशाजनक है। एमडीएच और एवरेस्ट जैसी प्रमुख कंपनियों द्वारा किसी भी गलत काम से इनकार करने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय निकायों द्वारा उनकी लगातार अस्वीकृतियों ने मसाला बोर्ड और एफएसएसएआई दोनों को बहुत पहले ही सचेत कर दिया होगा।’’

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीर्ष भारतीय फर्मों के उत्पादों की गुणवत्ता संदिग्ध है, तो यह भारतीय बाजार में उपलब्ध मसालों को लेकर भी संदेह पैदा करती है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय