उच्चतम न्यायालय ने पीपीई किट के निर्यात पर पाबंदी को लेकर रिजर्व बैंक के दिशानिर्देश को सही ठहराया |

उच्चतम न्यायालय ने पीपीई किट के निर्यात पर पाबंदी को लेकर रिजर्व बैंक के दिशानिर्देश को सही ठहराया

उच्चतम न्यायालय ने पीपीई किट के निर्यात पर पाबंदी को लेकर रिजर्व बैंक के दिशानिर्देश को सही ठहराया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:29 PM IST, Published Date : December 6, 2021/10:41 pm IST

नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कोविड-19 महामारी के दौरान पीपीई किट के निर्यात के लिए साख पत्र देने से इनकार करने वाले रिजर्व बैंक के ‘मर्चेंन्टिग ट्रेड ट्रांजैक्शन’ (एमटीटी) के कुछ दिशानिर्देशों की वैधता को बरकरार रखा है।

न्यायालय ने कहा कि कुछ लोगों को बिना किसी नियंत्रण के मुक्त व्यापार की सुविधा के लिए जनता के कल्याण को सुरक्षित रखने वाले लोकतांत्रिक हितों को ‘न्यायिक रूप से निरस्त’ नहीं किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की पीठ ने औषधियों का कारोबार करने वाली एक कंपनी के एक निदेशक की अपील को खारिज कर दिया कि उनकी कंपनी को अमेरिका में निर्यात करने के लिए चीन से पीपीई किट आयात करके मध्यस्थ के रूप में कार्य करने से प्रतिबंधित किया गया था।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि आरबीआई का व्यापार प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत दिये गये व्यापार और व्यवसाय की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘…संविधान के तहत दिये गये अधिकार और स्वतंत्रता सार्वजनिक हित में बनाये गये नियमन को अप्रभावी करने को निजी कारोबारियों के लिये कोई हथियार जैसे नहीं है।’’

न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने 55 पृष्ठ के आदेश में कहा, ‘‘कुछ लोगों के बिना किसी नियंत्रण के मुक्त व्यापार को संरक्षित रखने के लिये जनता के कल्याण को सुरक्षित रखने वाले लोकतांत्रिक हितों को न्यायिक रूप से निरस्त नहीं किया जा सकता है।’’

न्यायालय ने एमटीटी दिशानिर्देश के संवैधानिक रूप से वैध होने के मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आठ अक्टूबर, 2020 के उस फैसले को भी बरकरार रखा।

पीठ ने कहा कि निर्यात की अनुमति नहीं देने का निर्णय पीपीई उत्पादों की पर्याप्त घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए था। यह उपाय राज्य हित में कानूनी रूप से लागू किया गया था और अपीलकर्ता के मौलिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता था।

भाषा

रमण अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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