दूरसंचार कंपनियों ने पीएलआई का विस्तार करने, अधिक मूल्य वर्धन पर जोर दिया

दूरसंचार कंपनियों ने पीएलआई का विस्तार करने, अधिक मूल्य वर्धन पर जोर दिया

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  • Publish Date - October 9, 2025 / 10:32 PM IST,
    Updated On - October 9, 2025 / 10:32 PM IST

नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर (भाषा) दूरसंचार उद्योग के प्रतिनिधियों ने सरकार से उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को अगले पांच वर्षों तक बढ़ाने, घरेलू स्तर पर विनिर्मित उपकरणों में अधिक मूल्य सुनिश्चित करने और कंपनियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए पर्याप्त पैमाने पर उत्पादन बढ़ाने में मदद करने का आग्रह किया।

‘इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2025’ के दौरान संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में आयोजित एक गोलमेज बैठक में दूरसंचार उद्योग के अधिकारियों ने यह मांग रखी।

नोकिया इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंधक तरुण छाबड़ा ने स्थानीय इलेक्ट्रॉनिक घटकों के उत्पादन को बढ़ाने की जरूरत बताई।

उन्होंने कहा, ‘‘सेमीकंडक्टर सुविधाएं आने वाले समय में भारत आने वाली हैं। ऐसे में हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जरूरी उपकरण यहां उपलब्ध हों, ताकि हम उन्हें भारत से ही खरीद सकें।’’

एरिक्सन के प्रमुख (भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया एवं ओसनिया) आंद्रेस विसेंट ने भी उपकरणों की स्थानीय अनुपलब्धता को चुनौती बताया।

वहीं, जेटवर्क के अध्यक्ष (इलेक्ट्रॉनिक्स) जोश फाल्गर ने दूरसंचार पीएलआई योजना को पांच साल और बढ़ाने का अनुरोध किया ताकि भारत 6जी परिवेश में 10 प्रतिशत पेटेंट हिस्सेदारी का लक्ष्य हासिल कर सके।

स्थानीय चिप कंपनी एक्सिरो के सीईओ नवीन यांद्रू ने कहा कि उनकी कंपनी के चिप्स प्रमुख दूरसंचार उपकरणों में इस्तेमाल हो रहे हैं, लेकिन बड़ा पैमाने न होने से वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं।

सैमसंग साउथवेस्ट एशिया के अध्यक्ष एवं सीईओ जेबी पार्क ने भारत में 2जी उपयोगकर्ताओं को स्मार्टफोन में उन्नत करने की तरफ ध्यान दिलाया।

टीसीएस के एक अधिकारी ने भी अनुरोध किया कि दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष के माध्यम से बड़ी स्थानीय कंपनियों को उत्पाद डिजाइन और पैमाना बढ़ाने में वित्तीय मदद दी जाए।

हालांकि संचार मंत्री ने बड़ी कंपनियों के लिए अतिरिक्त वित्तपोषण की जरूरत पर सवाल उठाते हुए कहा कि बड़े उद्योगों के पास पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं और बाजार गतिशीलता के हिसाब से स्थिति बदलती रहती है।

सिंधिया ने यह भी कहा कि मंत्रालय की नीति निर्माण प्रक्रिया में कई सलाहकार समूह काम कर रहे हैं और विशेष उद्देश्यों के लिए अतिरिक्त समूह बनाने को लेकर वह खुली राय रखते हैं।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण