वाशिंगटन, पांच अक्टूबर (भाषा) दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों के हाल में अपने मौद्रिक रुख को कड़ा किए जाने के कदम से ऊंची मुद्रास्फीति को पैठ बनाने से रोकने में मदद मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में यह बात कही है।
आईएमएफ और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक से पहले जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ऊंची मुद्रास्फीति और मामूली वेतन वृद्धि के मौजूदा संयोग से मजदूरी के साथ कीमतों में वृद्धि की चिंता बनी है। यह ऐसी स्थिति होती है जिसमें कीमत और वेतन दोनों में लंबी अवधि के दौरान वृद्धि होती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई अर्थव्यवस्थाओं ने 2021 के बाद से मूल्य मुद्रास्फीति में तेज वृद्धि देखी है। कोविड-19 महामारी के बीच प्रतिकूल आपूर्ति झटकों की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था और श्रम बाजार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
रिपोर्ट कहती है कि इस तरह महंगाई में बढ़ोतरी के बीच कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि कीमतें और मजदूरी दोनों एक-दूसरे का ‘पोषण’ करना शुरू कर देंगी जिससे वेतन के साथ मूल्य बढ़ने की स्थिति बन सकती है।
आईएमएफ के अनुसंधान विभाग में विश्व आर्थिक परिदृश्य पर उप प्रभाग प्रमुख जॉन ब्लूडॉर्न ने एक ब्लॉगपोस्ट में लिखा है कि यदि मुद्रास्फीतिक झटके श्रम बाजार से आना शुरू होंगे तो इससे वास्तविक वेतन में गिरावट का प्रभाव कम होगा और लंबे समय तक वेतन वृद्धि और मुद्रास्फीति देखने को मिलेगी।
रिपोर्ट कहती है कि मौद्रिक नीति-निर्माताओं के लिए आकांक्षाओं की प्रक्रिया को समझना महत्वपूर्ण है। ब्लूडॉर्न ने लिखा है कि यदि ये आकांक्षाओं अधिक पीछे देखने वाली हैं तो मुद्रास्फीति के झटकों के जवाब में मौद्रिक नीति में सख्ती मजबूत होनी चाहिए और केंद्रीय बैंकों को इस बारे में स्पष्ट संकेत देना चाहिए।
भाषा अजय अजय रमण
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