Drought in these districts of Chhattisgarh, No Rain in sawan

बीतने को है सावन.. लेकिन प्यासे रह गए छत्तीसगढ़ के ये जिले, खेतों में पड़ी दरारें, अन्नदाताओं को सता रही भविष्य की चिंता

बीतने को है सावन.. फिर प्यासे रह गए छत्तीसगढ़ के ये जिले : Drought in these districts of Chhattisgarh, No Rain in sawan

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : August 10, 2022/11:42 pm IST

अंबिकापुरः Drought in these districts एक तरफ पूरे छत्तीसगढ़ में भारी बारिश का दौर जारी है। वहीं सरगुजा में अब भी बारिश का इंतजार है। जलाशय अब भी प्यासे हैं। अब पेय जल आपूर्ति के भी चिंता सताने लगी है। पिछले 50 सालों में सबसे कम बारिश होने के कारण सरगुज़ा संभाग में सूखे की स्थिति पैदा हो गई है एक तरफ जहां किसानो के खेत सूखे पड़े है, खेतो में दरारें आ गई है तो वही फसल नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई है जिससे संभाग भर में सुखा ग्रस्त इलाका घोषित किये जाने की मांग उठने लगी है।

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Drought in these districts  कम बारिश का असर सिर्फ खेती पर पड़ रहा हो ऐसा नही बल्कि संभागभर के जलाशय भी प्यासे पड़े हुए है। सरगुज़ा संभाग में 6 लघु जलाशय योजनाएं है जिनमे बरनइ, बांकी, कुंवरपुर, घुनघुट्टा, झुमका औऱ गेज परियोजनाएं शामिल है। इनमें से झुमका औऱ घुनघुट्टा में ही जल भराव 50 फीसदी से ज्यादा है जबकि बाकी 4 जलाशय सूखे पड़े है जिनमें 15 से 20 फीसदी पानी ही शेष है। ऐसे में अब जल संसाधन विभाग पहले पेयजल के लिए पानी सुरक्षित रखने की बात कह रहा है और बाकी पानी से सिंचाई के लिए उपलब्ध कराने की बात कह रहा है,..

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चिंता ज्यादा इसलिए हैं क्योंकि मध्यम जलाशयों में पानी की कमी तो है ही साथ ही संभागभर में 200 से ज्यादा लघु जलाशय है जहां पानी डेड लाइन तक पहुंच गया है। यानी इनमें पानी अंतिम स्तर पर है। सबसे बड़ी बात ये की मध्यम परियोजनाओं से ही पेय जल की आपूर्ति की जाती है ऐसे में अल्प वर्षा के कारण जल भराव नही हो रहा औऱ अगर पानी का भराव नही हुआ तो पेयजल आपूर्ति में भी दिक्कत आ सकती है।

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बहरहाल संभागभर में जिस तरह से मानसून ने बेरुखी दिखाई है उससे साफ है कि इसका असर न सिर्फ खेत, फसल और किसान पर नज़र आ रहा है बल्कि इससे जल स्त्रोत भी अछूते नहीं है। ऐसे में IBC24 भी ये कामना करता है कि मानसून की बेरुखी जल्द खत्म हो ताकि सरगुज़ा का सूखा खत्म हो सके और जलाशयों की प्यास भी बूझ सके।