pm shri school vs swami aatmanand school chhattisgarh
pm shri school vs swami aatmanand school chhattisgarh: रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्वामी आत्मानंद स्कूलों को पीएम श्री योजना में शामिल करने के फैसले से बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस इसका जी जान से विरोध कर रही है। नाम बदलने पर पूरे प्रदेश में आंदोलन और विरोध करने की धमकी तक दी जा चुकी है। इस बीच एक बड़ा खुलासा हुआ है। आत्मानंद स्कूल योजना में केंद्र का नाम न लग जाए और इसके श्रेय का बंटवारा ना हो जाए, इसलिए भूपेश बघेल सरकार ने करीब 300 करोड़ रुपये का केंद्रीय फंड ठुकरा दिया था। अब भाजपा इसे लेकर हमला बोल रही है।
दरअसल, अक्टूबर 2022 में पीएम श्री योजना के तहत छत्तीसगढ़ के स्कूलों का चयन शुरू हुआ। केंद्रीय मापदंड के आधार पर जिन प्राथमिक स्कूलों का चयन होता, उसके लिए 30 लाख और हाई-हायर सेकेंडरी स्कूलों के लिए 2 करोड़ का फंड मिलता। इससे स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर सुधरता, लैब से लाईब्रेरी बनती, आईटी, एआई, जैसी नई ट्रेंड की पढ़ाई शुरू होती।
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लेकिन केंद्र सरकार के मापदंड पर फिट बैठने वाले अधिकांश हाई और हायर सेकेंडरी स्कूल स्वामी आत्मानंद स्कूल बन गए थे। इनके नाम पर 2 करोड़ का फंड लिया जाता तो स्वामी आत्मानंद स्कूल के आगे पीएम श्री शब्द जुड़ जाता। ऐसे में तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार की फ्लैगशिप योजना में बंटवारा हो जाता। लिहाजा सरकार ने आत्मानंद स्कूलों को पीएम श्री योजना से ही बाहर कर दिया।
अब भाजपा इसे प्रदेश की नई पीढ़ी के साथ खिलवाड़ करने वाला घिनौना कृत्य बता रही है। तत्कालीन राज्य सरकार के इस फैसले से प्रदेश की स्कूल शिक्षा पर कितनी बड़ी चोट पहुंची, इसे ऐसे समझिए। 190 प्राइमरी स्कूलों के लिए केंद्र से सिर्फ 57 करोड़ रुपये मिले। लेकिन मापदंड पूरा करने वाले आत्मानंद स्कूल शामिल होते तो 380 करोड़ रुपये मिले होते। इससे स्कूलों की तस्वीर और बच्चों की तकदीर बदली जाती। हालांकि, कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे शिव डहरिया कहते हैं कि जो किया गया बेहतर के लिए किया गया।
2023 की दूसरी लिस्ट में भी राज्य सरकार की ओर से प्राइमरी स्कूल का नाम ही बढ़ाया गया। क्योंकि मापदंड पूरा करने वाले हाई स्कूल आत्मानंद स्कूल बन चुके थे, और आत्मानंद के नाम पर सरकार को फंड मंजूर नहीं था। लेकिन केंद्र ने ही यह कहते हुए प्राइमरी स्कूलो के लिए फंड रोक दिया कि जब हाईस्कूल के नाम पर 2 करोड़ का फंड मिल सकता है, तो प्राइमरी स्कूल के नाम पर सिर्फ 30 लाख का फंड लेकर कोटा क्यों बर्बाद किया जा रहा है।