Hareli tihar news: हरेली पूजा कैसे करते है और किन चीजों की पूजा की जाती है?

Hareli tihar news हरेली अमावस्या आज, आनें इसका महत्व और जानें आज पूजा कैसे करते है और किन चीजों की पूजा की जाती है?

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  • Publish Date - July 17, 2023 / 10:00 AM IST,
    Updated On - July 17, 2023 / 10:00 AM IST

Hareli tihar news: रायपुर। छत्तीसगढ़ के लोग हर त्योहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। कई त्योहार तो ऐसे होते हैं जो केवल छग में ही मनाए जाते है। उन्हीं त्योहारों में से एक त्योहार हरेली है। जिसका अपना ही विशेष महत्व है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार भी माना जाता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर लोक महत्व के इस पर्व पर सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया है।

अमावस्या पर मनाया जाता है हरेली त्योहार

Hareli tihar news: श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को हरेली त्योहार मनाया जाता है। जुलाई के महीने में यह त्योहार पड़ता है। पानी बरसने के बाद खेतों में फसल हरी-भरी हो जाती है तब यह त्यौहार मनाते हैं। इस वर्ष हरेली त्यौहार 17 जुलाई सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन गांव में बच्चे और युवा गेड़ी का आनंद लेते हैं। किसानों के लिए ये त्यौहार काफी खास होता है।

इन चीजों की होती है पूजा

Hareli tihar news: छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में यह त्योहार परंपरागत रूप से उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन किसान खेती-किसानी में उपयोग आने वाले कृषि यंत्रों की पूजा करते हैं। किसान लोक पर्व हरेली पर आज खेती-किसानी में काम आने वाले उपकरण और बैलों की पूजा करते है। इस दौरान सभी घरों में पकवान भी बनेंगे। इस दिन ज्यादातर लोग अपने कुल देवता और ग्राम देवता की पूजा करते हैं। हरेली पर किसान नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ-सफाई कर उन्हें एक स्थान पर रखकर इसकी पूजा-अर्चना करते है।

क्यों मनाया जाता है हरेली त्योहार?

Hareli tihar news: फसलों में किसी प्रकार की बीमारी न लग सके इसके साथ ही पर्यावरण सुरक्षित हो, जिसको लेकर किसानों द्वारा हरेली त्यौहार मनाया जाता है। हरेली अमावस्या अर्थात श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को किसान अपने खेत एवं फसल की धूप, दीप एवं अक्षत से पूजा करते हैं। पूजा में विशेष रूप से भिलवा वृक्ष के पत्ते, टहनियां व दशमूल (एक प्रकार का कांटेदार पौधा) को खड़ी फसल में लगाकर पूजा करते हैं। किसानों का मानना है कि इससे कई प्रकार के हानिकारक कीट पतंगों एवं फसल में होने वाली बीमारियों से रक्षा होती है।

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