People of this village earn lakhs of rupees because of 'Ravana'

‘रावण’ की वजह से लाखों रुपए कमाते हैं छत्तीसगढ़ के इस गांव के लोग, जानिए क्या है माजरा

रावण' की वजह से लाखों रुपए कमाते हैं छत्तीसगढ़ के इस गांव के लोग! People of this earn lakhs of rupees because of 'Ravana'

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:02 PM IST, Published Date : October 14, 2021/11:41 pm IST

दुर्ग: पांच दशक पहले गांव की रामलीला मंडली में वो रावण का किरदार निभाते थे, रामलीला में दशानन के किरदार में इतना रम गए कि रावण का पुतला बनाना सीख लिया अब ये काम अनवरत उनकी चौथी पीढ़ी कर रही है, देखिए कैसे एक गांव रावण के पुतले बनाने के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध हो गया।

Read More: नशे के सौदागारों के खिलाफ पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई, 22 लाख के ब्राउन शुगर के साथ तीन गिरफ्तार

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा कई मायनों खास पर्व माना जाता है, जिसमे भगवान श्रीराम का नाम लेकर लोग पुण्य कमाते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के कुथरेल गांव में लोग रावण की वजह से लाखों की कमाई कर लेते हैं। यकीन मानिए सही सुन रहे हैं आप रावण की वजह से गांव के कई लोग लाखों रुपए कमा रहे है। साढ़े चार हजार की आबादी वाले गांव में अब चौथी पीढ़ी रावण, मेघनाथ, कुंभकरण के पुतले बना रहे हैं। जमीन पर पड़े ये विशाल काय मुखोटे दशानन रावण के है जो अब अंतिम तैयारी में है इन्हें अलग अलग रंगों से रंगा जा रहा है, रावण बनाने की परंपरा पिछले 50 सालों से जारी है। यहां एक परिवार इसी तरह रावण के विशालकाय पुतले बनाकर अपनी पारिवारिक परंपरा को निभा रहा है।

Read More: ‘कौवा कान ले गया कहने से काम नहीं चलेगा, आंकड़ें है तो पेश करो’ चावल घोटाले के आरोप पर मंत्री सिंहदेव का पलटवार

दरअसल गांव में रावण के भीमकाय पुतले बनाने की शुरुआत गांव के ही बुजुर्ग बिसोहाराम साहू ने की थी पेशे से वे बढ़ई थे, लेकिन गाँव की रामलीला मंडली में रावण का किरदार निभाते थे। अपने किरदार में इतने रम गए कि उन्होंने दशहरे के लिए रावण का पुतला बनाना सीखा धीरे-धीरे उनके बनाए पुतलों की मांग बढ़ती गई तब उनके ही परिवार के लोमन सिंह साहू ने यह काम सीखा और आज इस परंपरा को स्व लोमन सिंह के बेटे डॉ जितेन्द्र साहू आगे बढ़ा रहे हैं, डॉ जितेन्द्र ने बताया कि अब उनके परिवार के बच्चे भी रावण का पुतला बनाना सीख गए हैं।

Read More: गश्त के दौरान शताब्दी एक्सप्रेस की चपेट में आकर दो RPF जवानों की मौत, खड़े थे पटरी पर

साहू परिवार के हाथों बने रावण के पुतले दुर्ग के अलावा राजधानी रायपुर,बिलासपुर, सहित करीब 10 जिलों में जाते हैं। अकेले उनके पास ही इस बार 25 समितियों ने रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले तैयार करने का आर्डर दिया है। वो भिलाई-दुर्ग सहित रायपुर के बीरगांव और आसपास के कई जिलों और गांवों की समितियों के लिए भी पुतले तैयार कर रहे हैं। इस पूरे काम मे साहू परिवार की महिलाएं भी साथ मे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं। पूरे रावण के पुतले को बनाने में करीब 2 महीने का समय लगता है इन 60 दिनों में पूरी शिद्दत और राम भक्ति के साथ रावण के ये विशालकाय पुतले तैयार किए जाते हैं।

Read More: WRS कॉलोनी में आयोजित दशहरा उत्सव में शामिल होंगे सीएम भूपेश बघेल, दुर्ग जिले के इन कार्यक्रमों में भी होंगे शामिल