नक्सलवाद की रोकथाम में मिल रही सफलता वास्तव में लोकतांत्रिक आस्थाओं की जीत : बघेलर |

नक्सलवाद की रोकथाम में मिल रही सफलता वास्तव में लोकतांत्रिक आस्थाओं की जीत : बघेलर

नक्सलवाद की रोकथाम में मिल रही सफलता वास्तव में लोकतांत्रिक आस्थाओं की जीत : बघेलर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:54 PM IST, Published Date : August 15, 2022/2:57 pm IST

रायपुर, 15 अगस्त (भाषा) छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को कहा कि नक्सलवाद की रोकथाम में मिल रही सफलता वास्तव में लोकतांत्रिक आस्थाओं की जीत है। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राजधानी रायपुर के पुलिस परेड मैदान में आयोजित मुख्य समारोह में ध्वजारोहण किया।

ध्वजारोहण के बाद बघेल ने राज्य की जनता के नाम दिए अपने संदेश में कहा, “हमें विरासत में प्राप्त नक्सलवाद की समस्या की रोकथाम में मिल रही सफलता वास्तव में लोकतांत्रिक आस्थाओं की जीत है। इस जीत में ‘विश्वास, विकास और सुरक्षा’ की बड़ी भूमिका है।”

उन्होंने कहा, “हमने बीते साढ़े तीन वर्षों में सकारात्मक कदम उठाकर पुलिस और सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाया है। वर्ष 2018 में राज्य में पुलिस बल की संख्या 75,125 थी, जो अब बढ़कर 80,128 हो गई है। इसके अलावा, ‘बस्तर फाइटर्स’ विशेष बल में 2,800 पदों पर स्थानीय युवाओं की भर्ती की जा रही है, जो सुरक्षा बलों को नयी शक्ति प्रदान करेंगे।”

मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे प्रशासन और आपदा-मोचन बल की कुशलता और सक्षमता का प्रमाण जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीद गांव में खुले बोरवेल में गिरे एक बच्चे के बचाव और बाढ़ में फंसे 68 लोगों को सुरक्षित निकालने के दौरान भी दिखा।”

उन्होंने कहा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ से फिर एक नया सफर शुरू होगा, जो न्याय की हमारी विरासत के साथ आगे बढ़ेगा और ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ का लक्ष्य पूरा करेगा।

बघेल ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और अमर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि आजाद भारत के अमृत महोत्सव के मायने और मूल्यों को समझने के लिए हमें दो शताब्दियों की गुलामी को याद करना होगा।

उन्होंने कहा, “हमारे पुरखों ने अपनी जान दांव पर लगाकर फिरंगी सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया था। उनका त्याग और बलिदान देश की भावी पीढ़ियों का जीवन खुशहाल बनाने के लिए था। हमारा कर्तव्य है कि उनके सपनों को साकार करें और उनकी स्मृतियों को चिरस्थायी बनाएं।”

मुख्यमंत्री ने कहा आज देश के सामने अनेक चुनौतियां हैं, जिसमें कृषि और वन भूमि का दायरा सिकुड़ना, पर्यावरण असंतुलन, प्रदूषण, बीमारियां, महंगाई, बेरोजगारी आदि शामिल हैं।

उन्होंने कहा, “हमने पुरखों की सीख और माटी की संस्कृति का सम्मान करते हुए कृषि तथा वन उत्पादों, परंपरागत ज्ञान, आधुनिक साधनों और रणनीतियों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का रास्ता चुना है।”

बघेल ने कहा, “हमने न्याय योजनाओं की जो पहल की थी, उसे हम लगातार आगे बढ़ाने के लिए भी संकल्पबद्ध हैं। यही वजह है कि ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ अब तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और इसके तहत लगभग 13 हजार करोड़ रुपये की राशि किसानों को दी जा चुकी है।”

उन्होंने कहा, “इसी तरह एक मौसम में किसानों को प्रति एकड़ नौ हजार रुपये की आदान सहायता देने वाला देश का पहला राज्य हमारा छत्तीसगढ़ है। ‘गोधन न्याय योजना’ भी तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है, जिसके तहत अब तक गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों तथा स्व-सहायता समूहों को 312 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।”

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि देश में रासायनिक खाद की कमी और मूल्य वृद्धि के परिदृश्य में हमारे गौठानों में निर्मित जैविक खाद अब एक बेहतर विकल्प बन रही है।

उन्होंने कहा, “हमने खेती को लाभ का जरिया बनाने का वादा भी निभाया है। लगातार वृद्धि के साथ इस वर्ष धान खरीद 98 लाख मीट्रिक टन के सर्वोच्च शिखर पर पहुंची है, जो चार वर्ष पहले मात्र 57 लाख मीट्रिक टन थी।”

बघेल के अनुसार, धान बेचने वाले किसानों की संख्या भी अब 21,77,000 से अधिक हो गई है, जो पहले मात्र 12,06,000 थी।

उन्होंने कहा कि राज्य में धान के अलावा अन्य अनाज का उत्पादन बढ़ाने के भी कई उपाय किए गए हैं, जिसके कारण अनाज उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ न सिर्फ स्वावलंबी हुआ है, बल्कि राज्य में कुल आवश्यकता का 270 प्रतिशत अधिक अनाज उत्पादन हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा, “गौठानों को आजीविका-केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए हम ‘ग्रामीण आजीविका पार्क’ अर्थात ‘रूरल इंडस्ट्रियल पार्क’ प्रारंभ करने जा रहे हैं। इसका उद्देश्य ग्रामीण इलाके के गरीब परिवारों के लिए आय के अतिरिक्त साधन बनाना है। दो अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर इसका शुभारंभ किया जाएगा और प्रथम वर्ष में 300 ऐसे पार्क स्थापित होंगे।”

उन्होंने कहा, “हमने श्रमिकों को न्याय दिलाने के लिए भी कई कदम उठाए हैं। आदिवासियों को विभिन्न तरीकों से न्याय देने के उपाय किए गए हैं। अदालतों में लंबित विभिन्न प्रकार के 1,275 मामले वापस होने से उनकी सम्मानजनक रिहाई और घर वापसी सुनिश्चित हुई है।”

बघेल ने कहा कि अनुसूचित जनजाति और परंपरागत वन निवासियों को अभी तक 5,03,993 व्यक्तिगत, सामुदायिक तथा वन संसाधन अधिकार पत्र दिए जा चुके हैं, जिसके तहत 38,85,900 हेक्टेयर भूमि के अधिमान्यता पत्र वितरित किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि हमने आदिवासियों के हित में बरसों से लंबित ‘पेसा अधिनियम’ के तहत नियम बनाने का काम पूरा कर इसे लागू कर दिया है, जिससे ग्राम सभाओं की शक्ति बढ़ेगी और उन्हें जल-जंगल-जमीन के बारे में खुद फैसला लेने का अधिकार मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा, “पूर्व में आम जनता के साथ ठगी करने वाली चिटफंड कंपनियों के खिलाफ हमने ठोस कार्यवाही करते हुए उनके 622 पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया है। अदालतों द्वारा लगभग 56 करोड़ रुपये की संपत्ति की नीलामी के आदेश दिए जा चुके हैं, जिसमें से 32 करोड़ रुपये की राशि नीलामी से प्राप्त हुई है और 28 हजार से अधिक निवेशकों को लगभग 18 करोड़ रुपये लौटाए जा चुके हैं।”

उन्होंने कहा कि नीलामी से प्राप्त शेष राशि भी निवेशकों को लौटाने का कार्य प्रगति पर है और ऐसी अन्य कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई भी जारी है।

बघेल ने कहा कि बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने हिंदी के अलावा 16 स्थानीय भाषाओं तथा पड़ोसी राज्यों की चार भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित कराई हैं।

उन्होंने बताया कि ‘निःशुल्क पाठ्य पुस्तक योजना’ के तहत कक्षा एक से दसवीं तक सभी शासकीय-अशासकीय शालाओं तथा कक्षा आठवीं तक मदरसों के बच्चों को लगभग 52 लाख पाठ्य पुस्तकें प्रदान की जा रही हैं।

मुख्यमंत्री ने दावा किया, “राज्य की बेरोजगारी दर देश में लगातार न्यूनतम स्तर पर बनी हुई है, जो हमारी युवा कल्याण और रोजगारपरक योजनाओं की सफलता का प्रमाण है।”

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में उद्योग-व्यापार और कारोबार में वृद्धि को कानून-व्यवस्था की बेहतर स्थिति तथा राज्य सरकार की सकारात्मक नीतियों का परिणाम माना जाता है।

बघेल के मुताबिक, बीते साढ़े तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ में 2,230 नयी औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुई हैं, जिनमें 21,494 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश हुआ है और लगभग 41 हजार लोगों को रोजगार मिला है।

भाषा

संजीव संजीव पारुल

पारुल

 

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