कवर्धा में भोरमदेव मंदिर का अस्तित्व पुरातत्व विभाग की अनदेखी की वजह से खतरे में हैं। मंदिर में जगह-जगह पानी का रिसाव हो रहा है। इसे रोकने अब तक कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है।
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ग्यारहवीं शताब्दी में बना ये कवर्धा का भोरमदेव मंदिर है। दुर्लभ शिल्पकला और नागर शैली की कलाकृतियों का ये बेजोड़ नमूना है। पुरातत्व विभाग की अनदेखी की वजह से इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। मंदिर में जगह-जगह बारिश के पानी का रिसाव हो रहा है। तीन साल पहले पुरातत्व विभाग ने बढ़ती समस्या को देखते हुए गाइडलाइन जारी की थी। लेकिन इस पर अब तक अमल नहीं हो सका है।
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मंदिर के रखरखाव के लिए कैमिकल पॉलिश करने मंदिर के पास बड़े पेड़ को काटने और मंदिर के चारों ओर 5 फीट तक गहरा गड्ढा कर सीमेंट से मजबूती देने का दावा किया गया था। देखना होगा छत्तीसगढ़ के इस ऐतिहासिक विरासत को बचाने प्रशासन क्या कदम उठाती है।
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