रायपुर : Liquor ban in chhattisgarh : शराब पर बैन को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार एक और कदम उठा चुकी है। शराबबंदी के लिए बनाई गई कमेटी गुजरात के बाद अब बिहार दौरे पर गई है। इसके बाद टीम मिजोरम भी जाने वाली है। इन तीनों राज्यों की रिपोर्ट के आधार पर सरकार फैसला करेगी की छत्तीसगढ़ में किस तरह से शराबबंदी करनी है। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले नई आबकारी नीति पर फैसला हो सकता है। इस पर राजनीति भी बाकायदा जारी है।
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Liquor ban in chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में चुनाव करीब आते ही नेताओं को अधूरे वादे याद आने लगे हैं। कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हो सका है। अब जनता के बीच जाने का वक्त आ चुका है, लिहाजा कांग्रेस चुनावी मैदान में उतरने से पहले विपक्ष को सवाल करने का कोई मौका नहीं देना चाहती। यही वजह है कि शराबबंदी के लिए गठित कमेटी बिहार मॉडल को समझने के लिए दौरे पर गई है। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही शराबबंदी पर बड़ा फैसला ले सकती है। हालांकि आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने ये जरूर कहा कि बस्तर में शराबबंदी का सवाल ही नहीं है। वहीं बीजेपी नेता पूर्ण शराबबंदी को वोट के लिए किया गया झूठा वादा करार देने में जुटे हैं।
Liquor ban in chhattisgarh : शराबबंदी नहीं होने से एक ओर आधी आबादी की नाराजगी का सवाल है तो दूसरी ओर आदिवासी संस्कृति वाले अंचलों में प्रतिबंध भी सरकार पर भारी पड़ सकती है। इसके साथ ही एक बड़ी चुनौती रेवेन्यू लॉस की भी होगी। ऐसे में शराबबंदी का वादा दोधारी तलवार बन गया है। इस मुद्दे पर अब तक नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली कहावत सटीक बैठ रही है और जनता तो बस यही सोच रही है कि आदतन तुमने कर दिए वादे आदतन हमने एतबार किया।