शह मात The Big Debate: रजिस्ट्री दर में मिलेगी राहत.. विपक्ष फिर क्यों आहत? आखिर अपने निर्णयों को क्यों बदल रही सरकार? समझें इस वीडियो के जरिए
रजिस्ट्री दर में मिलेगी राहत.. विपक्ष फिर क्यों आहत? Why is the government changing its decisions?, Read Full News
रायपुरः CG News बीते दिनों विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार अधूरे वायदों, अनिर्णय और गलत फैसलों के चलते अलोकप्रिय हो गई है। पहले बिजली बिल में छूट का मसला और अब जमीनों के गाइड लाइन दर में वृद्धि के फैसले के बाद इसमें राहत यानि कमी के संकेत? क्या सरकार आमजन से जुड़े इन फैसलों के बाद पब्लिक रिएक्शन्स को देख कर रियायती मोड में जा रही है या फिर विपक्ष के दावे के मुताबिक ये उसके प्रदर्शनों का दबाव है? आखिर सरकार के अपने ही लिए फैसलों को इतनी जल्दी बदलने या सुधारने के पीछे असल वजह क्या है?
CG News विपक्ष का मानना है कि मौजूदा दौर में सरकार ऐसे अव्यवहारिक फैसले ले रही है जिसके चलते उसे बार-बार आमजन का विरोध झेलना पड़ रहा है और सरकार को अपने फैसले पलटने या सुधारने पड़ रहे हैं। बीते 17-18 नवंबर को सरकार ने 8 साल के बाद पूरे प्रदेश में जमीनों की खरीदी बिक्री के लिए गाइड लाइन दर में इजाफा किया, जिसका रियल एस्टेट कारोबारियों समेत विपक्ष ने जमकर विरोध किया। प्रदर्शन के दौरान आरोप लगा कि सरकार ने जमीनों की गाइड लाइन दर में 300% से 1000% तक की अव्यवहारिक बढ़ोतरी कर दी गई, जिसका सीधा असर उनके कारोबार पर पड़ेगा। अब स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इसमें सुधार का संकेत दिया है जिस पर विपक्ष हमलावर है।
वैसे, इससे पहले सरकार ने 1 अगस्त 2025 को – कांग्रेस सरकार के शुरू गई बिजली बिल हाफ योजना में बदलाव का फैसला किया। योजना में मिलने वाली 400 यूनिट की राहत को घटाकर 100 यूनिट तक सीमित किया, जिस पर आम उपभोक्तों का भारी आक्रोश दिखा। विपक्ष ने भी इसे बड़ा मुद्दा बनाया, जिसके बाद सरकार ने राहत की सीमा कुछ शर्तों के साथ बढ़ाते हुए इसे 200 यूनिट तक कर दिया, हालांकि, इस पर सरकार का तर्क था कि वो PM सूर्यघर योजना के जरिए प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को फ्री बिजली की तरफ ले जाना चाहते हैं। दो अहम फैसले, दोनों प्रदेश की आम जनता से जुड़े और दोनों फैसलों को कुछ ही दिनों में सरकार को सुधार की तरफ जाना पड़ा है जिसे लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है। आरोप लगा रहा है कि ये सरकार की अदूरदर्शिता और अव्यवहारिकता है जो ऐसे फैसले कर रही है जिसे उसे खुद चंद दिनों में पलटना पड़ रहा है। उसके सीनियर नेता ही उसका फैसलों से असहमत हैं, जनता नाराज है। सवाल है क्या वाकई सरकार के फैसलों को लेकर कोई समस्या है? क्या सरकार को विरोध के दबाव में फैसले बदलने पड़ रहे हैं ? क्या निर्णय लेने से पहले सही होमवर्क की कमी है?

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