शह मात The Big Debate: हाथियों के खिलाफ आक्रोश..अनदेखी पर रोष! हाथियों से जान-माल की रक्षा में नाकामी क्यों? देखिए पूरी रिपोर्ट
CG News: हाथियों के खिलाफ आक्रोश..अनदेखी पर रोष! हाथियों से जान-माल की रक्षा में नाकामी क्यों? देखिए पूरी रिपोर्ट
CG News | Photo credit: IBC24
- सरगुजा में 3 दिनों में दो लोगों की मौत
- हाथी हमलों से ग्रामीण दहशत में
- गरियाबंद के मैनपुर में किसानों का प्रदर्शन
रायपुर: CG News हरे-भरे वनों वाले छत्तीसगढ़ का एक बड़ा वनांचल, हाथियों की आमद और मौजूदगी के वक्त इस बात को लेकर डरा रहता है कि कहीं उसे जान-माल का नुकसान ना हो जाए। बीते 3 दिनों में, अकेले सरगुजा क्षेत्र में 2 लोगों की जान हाथियों के कुचलने से हुई है। ये भी सच है कि प्रदेश सरकारों ने इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए कई प्रोजेक्ट्स बनाए लेकिन अब पीड़ित ग्रामीणों का गुस्सा, बड़े आक्रोश में बदलता दिख रहा है। पीड़ित गांव के आदिवासी परिवार वन विभाग को घेरकर, अल्टीमेटम दे रहे हैं। विपक्ष इसे सरकार की अनदेखी और नाकामी बताता है तो सत्तापक्ष ठोस कदम उठाने का दावा करता है। सवाल है क्या वाकई हाथी समस्या पर भड़के रोष के लिए कोई अनदेखी जिम्मेदार है?
CG News गरियाबंद के मैनपुर में अपनी जान की सलामती के लिए फिक्रमंद सैंकड़ों आदिवासी किसानों ने प्रदर्शन कर प्रशासन के सामने 10 मांगे रखी। 30 गांव के सैकड़ों किसानों ने इलाके में हाथियों के हमले में जन और धन की हानि और उसे लेकर उदासीन अमले को लेकर आक्रोशित जताया। किसानों ने मैनपुर वन दफ्तर को घेरकर प्रति एकड़ 75 हजार का मुआवजा दिया जाए। जबकि हाथी के कुचलने से मृत्यु पर 50 लाख का मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि मांग पूरी ना होने पर वो 15 दिनों के बाद पीड़ित गांव-गांव में प्रदर्शन करेंगे।
किसानों के आक्रोश को जायज बताते हुए विपक्ष ने वन विभाग और सरकार को समस्या समाधान के लिहाज से- दिशाहीन और उदासीन बताया, तो नहीं बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि सरकार समस्या पर संवेदनशील भी है समाधान के लिए प्रयासरत भी है।
कुल मिलाकर हाथियों को लेकर अब तक सरकार ने कई प्रयास किए। कई अलग-अलग प्रोजेक्ट्स पर काम किया, लेकिन कुछ भी स्थाई तौर पर समाधान नहीं दे पाया। नतीजा हाथियों से हुए नुकसान पर सरकार को मुआवजे में बड़ी रकम देनी पड़ती है। सवाल ये है कि इस पुरानी समस्या का कोई नया समाधान विभाग और सरकार के पास है , क्या इसपर विरोध प्रदर्शन के लिए विभाग की उदासीनता जिम्मेदार है?

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