CG Ki Baat: धान पर मोर्चाबंदी! बारदानों के चलते किसानों को हो रही परेशानी और नुकसान, कौन करेगा भरपाई?

CG Ki Baat: धान पर मोर्चाबंदी! बारदानों के चलते किसानों को हो रही परेशानी और नुकसान, कौन करेगा भरपाई?

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  • Publish Date - January 2, 2021 / 05:12 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:06 PM IST

रायपुर: धान खरीदी के मुद्दे पर रायपुर से लेकर दिल्ली तक घमासान मचा हुआ है। बारदाने की कमी और FCI में उपार्जन की अनुमति को लेकर केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने हैं। मुद्दे पर केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखने के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से बातचीत भी हो चुकी है। इसी बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीजेपी नेताओं पर धान खरीदी को लेकर गलतफहमी पैदा करने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर बीजेपी भी राज्य सरकार को घेरने बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में जुट गई है। मतलब साफ है कि धान के कटोरे में धान को लेकर मोर्चाबंदी अभी जारी रहेगी।

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छत्तीसगढ़ में धान पर घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर दिन नई मोर्चाबंदी देखने को मिल रही है। धान खरीदी में हो रही देरी और परेशानी को लेकर सरकार और विपक्ष आमने-सामने तो थे ही, अब इस जंग किसान भी ताल ठोंकने की तैयारी कर रहा है। 3 जनवरी को रायपुर में बड़ी बैठक के बाद किसानों का एक बड़ा संगठन दिल्ली के लिए रवाना होगा। दूसरी ओर कांग्रेस भी धान खरीदी को लेकर दिल्ली कूच करने की तैयारी में है। दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार धान खरीदी में हो रही देरी के लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराती आई है, उसके मुताबिक केंद्र न तो बारदाना उपलब्ध करा पा रहा है, ना ही FCI में चावल जमा करने की अनुमति दे रहा। शनिवार को पत्रकारों से चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने धान खऱीदी को लेकर बीजेपी नेताओं पर केंद्र को गलत जानकारी देने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर केंद्र से बातचीत में कोई समाधान नहीं निकलता है, तो वे अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ दिल्ली कूच करेंगे ।

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इधर बीजेपी ने भी राज्य सरकार पर पलटवार किया है। बीजेपी का कहना है कि सरकार की नियत सही नहीं है, इसलिए दूसरों के ऊपर भ्रमित करने का आरोप लगा कर जनता का गुमराह कर रही है। विपक्ष अब इस मुद्दे पर सरकार को घेरने सड़क पर उतरने की रणनीति बना रहा है।

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बहरहाल आरोप-प्रत्यारोप के बीच छत्तीसगढ़ में आगामी 31 जनवरी को धान खरीदी की मियाद खत्म हो जाएगी। ऐसे में सवाल है कि बारदानों के चलते किसानों को जो परेशानी और नुकसान हो रहा है, आखिर उसकी भरपाई कौन करेगा?

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