नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) करीब 100 अफगान सिख और हिंदू भारत आना चाहते हैं, लेकिन वे इसलिए नहीं आ पा रहे हैं, क्योंकि उनके परिवार के कुछ सदस्यों को अभी तक भारत सरकार से ई-वीजा नहीं मिला है। यह बात एक सिख नेता ने शनिवार को कही।
गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी, काबुल के अध्यक्ष गुरनाम सिंह राजवंशी ने कहा कि उनका बेटा उन लोगों में शामिल है, जो ई-वीजा का इंतजार कर रहे हैं। राजवंशी को शुक्रवार को परिवार के पांच सदस्यों के साथ काबुल से निकाला गया था।
राजवंशी ने कहा कि अफगान सिखों और हिंदुओं में से करीब 28 को अभी तक वीजा नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि इस वजह से 100 (सिख और हिंदू) लोग इंतजार कर रहे हैं क्योंकि अधिकांश अफगान हिंदुओं और सिखों के लिए अपने परिवार के किसी भी सदस्य को छोड़कर भारत आना मुश्किल है।
तालिबान के नियंत्रण वाले देश में रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को ई-वीजा देने का भारत सरकार से आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि जिन लोगों को वीजा नहीं मिला है उनमें से कई शिशु और बच्चे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘स्थिति इतनी विस्फोटक है कि हम परिवार के सदस्यों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों, को एक मिनट के लिए भी अकेले नहीं छोड़ सकते।’’
काबुल में 18 जून को कर्ता-ए-परवान गुरुद्वारे पर आतंकवादियों के हमले के बाद से, 66 अफगान सिखों और हिंदुओं को चार जत्थों में भारत लाया गया है।
राजवंशी ने हमले को याद करते हुए कहा कि जब गुरुद्वारे को निशाना बनाया गया था, उस वक्त 18 अफगान सिख गुरुद्वारे के अंदर थे, जिनमें से दो की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘कई लोगों के व्यवसाय बर्बाद हो गए, क्योंकि हमारी दुकानों को भी निशाना बनाया जाता था। अफगान सिखों ने वहां गुरुद्वारों में जाना बंद कर दिया है।’’
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में कोई भी गुरुद्वारा अब खुला नहीं है और लोग वहां जाने से भी डरते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम उस देश (अफगानिस्तान) में पैदा हुए थे, हम वहां पले-बढ़े, वहां हमारे घर हैं, लेकिन हम फिर से उस जगह वापस जाने की कल्पना भी नहीं कर सकते।’’
जो लोग भारत पहुंचे हैं वे अब अपने जीवन को पटरी पर लाने को लेकर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी), अमृतसर अफगानिस्तान से सिखों और हिंदुओं की निकासी प्रक्रिया में शामिल है। उसने कहा कि वहां से लाये गए व्यक्तियों की बुनियादी मांगें हैं और उन्हें जल्द ही पूरा किया जाएगा।
एसजीपीसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रघुजीत सिंह ने कहा, ‘‘(वहां से) निकाले गए लोगों की अपने बच्चों के लिए आश्रय और शिक्षा जैसी बहुत ही बुनियादी मांगें हैं। हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि उनकी मांगें कैसे पूरी की जाए।’’
उन्होंने कहा कि एसजीपीसी विस्थापितों के बच्चों को दिल्ली में शिक्षा मुहैया कराने का प्रयास कर रही है।
भाषा अमित सुरेश
सुरेश
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