पंजाब में मिले 160 साल पुराने कंकाल गंगा के मैदानी इलाकों के शहीदों के हैं :आनुवंशिक अध्ययन

पंजाब में मिले 160 साल पुराने कंकाल गंगा के मैदानी इलाकों के शहीदों के हैं :आनुवंशिक अध्ययन

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  • Publish Date - April 28, 2022 / 10:41 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:19 PM IST

हैदराबाद,28 अप्रैल (भाषा) हैदराबाद स्थित कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) और अन्य संस्थानों के एक आनुवंशिक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि 2014 में पंजाब के अजनाला कस्बे में एक कुएं से मिले कंकाल 26वीं ‘नेटिव बंगाल इंफैंट्री बटालियन’ के सैनिकों के हैं, जो 1857 के विद्रोह के दौरान शहीद हो गये थे।

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ये कंकाल उन लोगों के हैं जो भारत-पकिस्तान विभाजन के दौरान दंगों में मारे गये थे।

सीसीएमबी ने बृहस्पतिवार को कहा कि वहीं, विभिन्न ऐतिहासिक सूत्रों के आधार पर,अन्य का यह मानना है कि ये कंकाल भारतीय सैनिकों के हैं। हालांकि, सैनिकों की पहचान और भोगौलिक उत्पत्ति वैज्ञानिक साक्ष्य के अभाव में गहन चर्चा के विषय रहे हैं।

विज्ञप्ति में कहा गया है कि पंजाब विश्वविद्यालय के मानवविज्ञानी जे एस सहरावत ने इन शहीदों के मूल निवास स्थान का पता लगाने के लिए डीएनए और आइसोटोप विश्लेषण का उपयोग करते हुए सीसीएमबी, बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट, लखनऊ और काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के साथ सहयोग किया।

इसमें कहा गया है कि अध्ययन के नतीजों से यह पता चलता है कि कंकाल गंगा के मैदानी क्षेत्रों के निवासियों के हैं। यह अध्ययन बृहस्पतिवार को जर्नल ‘फ्रंटियर्स इन गैंगेटिक्स’ में प्रकाशित हुआ है।

के. थंगराज, मुख्य वैज्ञानिक, सीसीएमबी ने कहा कि डीएनए विश्लेषण और आइसोटोप विश्लेषण पद्धतियों से इस दावे के समर्थन मिला कि ये कंकाल पंजाब या पाकिस्तान में रहने वाले लोगों के नहीं हैं। इसके बजाय, डीएनए अनुक्रमों का मिलान उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के लोगों से होता है।

अध्ययन में एक अहम भूमिका निभाने वाले बीएचयू के प्राणिविज्ञान विभाग के प्राध्यापक ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा कि अध्ययन का निष्कर्ष देश के प्रथम स्वतंत्रता संघर्ष के गुमनाम नायकों के इतिहास में एक अध्याय जोड़ेगा।

भाषा सुभाष पवनेश

पवनेश