भारत मे 2018 और 2022 के बीच बड़ी कृषि भूमि के 50 लाख पेड़ हुए गायब: अध्ययन

भारत मे 2018 और 2022 के बीच बड़ी कृषि भूमि के 50 लाख पेड़ हुए गायब: अध्ययन

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  • Publish Date - May 18, 2024 / 06:30 PM IST,
    Updated On - May 18, 2024 / 06:30 PM IST

नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) भारत में 2018 और 2022 के बीच बड़ी कृषि भूमि के 50 लाख से अधिक पेड़ आंशिक रूप से बदली हुई कृषि प्रथाओं के कारण गायब हो गए, जो चिंताजनक है। यह बात पत्रिका ‘नेचर सस्टेनेबिलिटी’ में प्रकाशित नये शोध में सामने आयी है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि ‘गौर करने वाली एक प्रवृत्ति उभर रही है’ जिसमें कृषि वानिकी प्रणालियों को धान के खेतों में तब्दील किया जा रहा है, भले ही एक निश्चित हानि दर स्वाभाविक रूप से हो सकती है।

उन्होंने कहा कि इन कृषि वानिकी क्षेत्रों के भीतर बड़े पेड़ों को हटाया गया है और अब अलग-अलग ब्लॉक वृक्षारोपण में आमतौर पर कम पारिस्थितिकी मूल्य वाले पेड़ लगाये जा रहे हैं।

ब्लॉक वृक्षारोपण में आमतौर पर पेड़ों की कम प्रजातियां शामिल होती हैं। इसकी संख्या में वृद्धि पाई गई है और इसकी पुष्टि तेलंगाना, हरियाणा, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के कुछ ग्रामीणों ने साक्षात्कार में की।

डेनमार्क के कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं सहित दल ने बताया कि पेड़ों को हटाने का निर्णय अक्सर पेड़ों के कथित कम लाभ से प्रेरित होता है, साथ ही इस चिंता से भी जुड़ा होता है कि नीम जैसे पेड़ों की छाया से फसल की पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि कृषिवानिकी पेड़ भारत के परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, क्योंकि वे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की क्षमता के कारण प्राकृतिक जलवायु समाधान होने के साथ-साथ सामाजिक-पारिस्थितिकीय लाभ भी उत्पन्न करते हैं।

अनुसंधानकर्ताओं के दल ने इस अध्ययन के लिए ब्लॉक वृक्षारोपण को छोड़कर, लगभग 60 करोड़ कृषि भूमि के पेड़ों की मैपिंग की और पिछले एक दशक में उनपर नजर रखी। उन्होंने पाया कि लगभग 11 प्रतिशत बड़े पेड़ 2018 तक गायब हो गए।

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा, ‘‘इसके अलावा, वर्ष 2018-2022 की अवधि के दौरान, 50 लाख से अधिक बड़े खेत के पेड़, आंशिक रूप से बदली हुई खेती प्रथाओं के कारण गायब हो गए, क्योंकि खेतों के भीतर के पेड़ों को फसल की पैदावार के लिए हानिकारक माना जाता है।’’

भाषा अमित सुरेश

सुरेश