दूसरे के विचार स्वीकार करने का मतलब यह नहीं कि अभद्र भाषा बर्दाश्त की जाए: न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ |

दूसरे के विचार स्वीकार करने का मतलब यह नहीं कि अभद्र भाषा बर्दाश्त की जाए: न्यायमूर्ति चंद्रचूड़

दूसरे के विचार स्वीकार करने का मतलब यह नहीं कि अभद्र भाषा बर्दाश्त की जाए: न्यायमूर्ति चंद्रचूड़

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:44 PM IST, Published Date : August 7, 2022/12:15 am IST

गांधीनगर, छह अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ ने शनिवार को यहां कहा कि दूसरे के विचारों को स्वीकार करना और उसके प्रति सहिष्णु रहने का अभिप्राय यह नहीं है कि किसी को अभद्र भाषा भी स्वीकार करनी चाहिए।

गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (जीएनएलयू) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने स्नातक की उपाधि लेने वाले विद्यार्थियों से अपील की कि ‘‘ वे अपने स्वयं के विवेक और तर्कों के आधार पर फैसला करें।’’

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने ऑनलाइन संबोधन में कहा, ‘‘सोशल मीडिया की दुनिया, जहां बहुत कम समय तक ध्यान आकर्षित होता है, हमें यह याद दिलाने में मदद करती है कि हमें दीर्घकालिक प्रभाव के लिए बहुत काम करना है और हमें प्रतिदिन की बाधाओं के बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए।’’

भाषा धीरज देवेंद्र

देवेंद्र

 

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