सरकारी योजनाओं में शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने से भेदभाव व तुष्टिकरण की राजनीति होती है समाप्त: मोदी |

सरकारी योजनाओं में शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने से भेदभाव व तुष्टिकरण की राजनीति होती है समाप्त: मोदी

सरकारी योजनाओं में शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने से भेदभाव व तुष्टिकरण की राजनीति होती है समाप्त: मोदी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:52 PM IST, Published Date : May 12, 2022/4:41 pm IST

भरूच, 12 मई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसी भी सरकारी योजना में जब शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया जाता है तो इससे ना सिर्फ भेदभाव की गुंजाइश खत्म होती है बल्कि तुष्टीकरण की राजनीति भी समाप्त होती है और ऐसा करने वालों के लिए कोई जगह भी नहीं बचती।

प्रधानमंत्री यहां आयोजित ‘‘उत्कर्ष समारोह’’ को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। यह आयोजन भरूच जिले में राज्य सरकार की चार प्रमुख सरकारी योजनाओं के शत प्रतिशत लक्ष्य पूरा होने के अवसर पर किया गया है।

उन्होंने कहा कि जानकारी के अभाव में कभी-कभी तो योजनाएं कागज पर ही रह जाती हैं तो कभी-कभी इन योजनाओं का फायदा बेईमान लोग उठा ले जाते हैं। उन्होंने कहा कि हर लाभार्थी तक पहुंचने की प्रक्रिया कठिन थी लेकिन लोगों की सेवा का यही एक रास्ता भी था।

उन्होंने कहा, ‘‘जब हम किसी भी योजना में शत प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करते हैं, तो इसका मतलब होता है शासन-प्रशासन संवेदनशील है…जब ‘सेचुरेशन’ होता है तो भेदभाव की सारी गुंजाइश खत्म हो जाती है। किसी की सिफारिश की जरूरत नहीं होती… जब शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल होता है तो तुष्टीकरण की राजनीति समाप्त हो जाती है, उसके लिए कोई जगह ही नहीं बचती।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि शत प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के लिए हर एक लाभार्थी तक पहुंचने की प्रक्रिया कठिन है लेकिन लोगों की सेवा का यही एक रास्ता था।’’

मोदी ने कहा कि उनके नेतृत्व में केंद्र सरकार के पिछले आठ वर्ष सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण को समर्पित रहे हैं और उनकी सरकार का निरंतर प्रयास रहा है कि कोई भी हकदार सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित ना रह जाए।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार के आठ साल पूरा होने के अवसर पर देश ने शत प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचने का लक्ष्य तय किया है और इस लक्ष्य को हासिल करना उनका सपना है। उन्होंने कहा कि वह जब तक इसे हासिल नहीं कर लेते तब तक चैन से नहीं बैठने वाले हैं।

उन्होंने कहा कि 2014 में जब उन्हें देश की सेवा का मौका दिया गया था तो देश की करीब-करीब आधी आबादी शौचालय की सुविधा से, टीकाकरण की सुविधा से, बिजली कनेक्शन की सुविधा से, बैंक खाते की सुविधा से वंचित थी।

उन्होंने कहा, ‘‘सभी के प्रयासों से अनेक योजनाओं को हम शत प्रतिशत लक्ष्य के करीब ला पाए हैं। मैंने पहले भी कहा कि ऐसे काम कठिन होते हैं, राजनेता भी उन पर हाथ लगाने से डरते हैं। लेकिन मैं राजनीति करने के लिए नहीं, देशवासियों की सेवा करने के लिए आया हूं। देश ने संकल्प लिया है, शत-प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचने का।’’

मोदी ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले सामाजिक सुरक्षा संबंधी जो योजनाएं थीं उनका दायरा और प्रभाव बहुत कम था।

उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2014 के बाद देश ने ऐसी योजनाओं का दायरा बढ़ाया। अब करीब 50 करोड़ लोगों को पांच लाख रुपये तक के इलाज की मुफ्त सुविधा का लाभ मिल रहा है, करोड़ों लोगों को बीमा की सुविधा मिली है, वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन मिल रहा है। हमने शौचालय, बिजली, बैंक खाते और नल से जल की सुविधा पहुंचाई।’’

मोदी ने कहा कि पहले इन सुविधाओं को पाना गरीबों के मुश्किल काम था लेकिन उनकी सरकार ने स्थितियों में बदलाव किया और लक्ष्य निर्धारित किए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जानकारी के अभाव में अक्सर बहुत से लोग योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘कभी-कभी तो योजनाएं कागज पर ही रह जाती हैं। कभी-कभी इन योजनाओं का फायदा बेईमान लोग उठा ले जाते हैं।’’

प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले क्षेत्र की महिलाओं ने प्रधानमंत्री को एक विशाल राखी भेंट की और उनके स्वस्थ और लंबे जीवन की कामना की। प्रधानमंत्री ने विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद भी किया।

एक दृष्टिबाधित लाभार्थी अयूब पटेल से बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री ने उनकी बेटियों की शिक्षा के बारे में जानकारी ली। अयूब ने बताया कि उनकी बड़ी बेटी आलिया डॉक्टर बनना चाहती है तो प्रधानमंत्री ने आलिया से बात करने की इच्छा जताई। आलिया ने बताया कि वह अपने पिता की परेशानी को देखते हुए डॉक्टर बनना चाहती है और इतना कहते ही उसकी आंखों से आंसू छलक गए।

बेटी को रोता देख प्रधानमंत्री भी भावुक हो गएं ओर उनकी आवाज भी भारी हो गई। इसी आवाज में उन्होंने आलिया से कहा कि उनकी संवेदनशीलता ही उनकी ताकत है। प्रधानमंत्री ने अयूब से कहा कि वह अपनी तीनों बेटियों की इच्छा पूरी करें और जरूरत पड़े तो उनसे संपर्क करें।

प्रधानमंत्री ने दो विधवा लाभार्थियों से भी संवाद किया और उनके जीवन के बारे में पूछा और गरिमापूर्ण जीवन जीने के उसके दृढ़ संकल्प की प्रशंसा की।

भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र उमा

उमा

 

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