अभिनेता इमरान हसनी ने पारलौकिक पृष्ठभूमि के साथ ‘प्रेम कहानी’ लिखी |

अभिनेता इमरान हसनी ने पारलौकिक पृष्ठभूमि के साथ ‘प्रेम कहानी’ लिखी

अभिनेता इमरान हसनी ने पारलौकिक पृष्ठभूमि के साथ ‘प्रेम कहानी’ लिखी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:54 PM IST, Published Date : November 27, 2022/6:11 pm IST

नयी दिल्ली, 27 नवंबर (भाषा) अभिनेता इमरान हसनी एक उपन्यास लेकर आए हैं, जिसमें उन्होंने पारलौकिक दुनिया की पृष्ठभूमि में एक भावुक प्रेम कहानी बयां की है।

उनका कहना है कि ‘‘आउट ऑफ माई बॉडी’’ उपन्यास की कथा- एक काल्पनिक कहानी है, जिसे पारलौकिक दुनिया की पृष्ठभूमि दी गई है जो उनके व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित है।

‘स्लमडॉग मिलियनेयर’, ‘पान सिंह तोमर’, ‘द डर्टी पिक्चर’ और ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई’ जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुके इमरान हसनी कहते हैं, ‘‘पारलौकिक दुनिया की अपनी नैतिकता, अपने नियम होते हैं जो अलिखित हैं, लेकिन इनका सख्ती से पालन किया जाता हैं। यह उपन्यास इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है और यह कहानी वास्तविक घटनाओं का एक काल्पनिक विवरण है।’’

उपन्यास का कथानक कुछ इस प्रकार है कि युवराज को रश्मि से प्यार हो गया है। उसका दुष्ट बॉस मैडी हमेशा रश्मि से शादी करने की गुप्त इच्छा रखता था। ‘महाभूत-यंत्र’ एक ऐसा यन्त्र है जिसकी सहायता से किसी जीवित व्यक्ति की आत्मा को उसके शरीर से निकालकर पाताल लोक में स्थानांतरित किया जा सकता है।

हसनी कहते हैं कि युवराज को पाताल लोक में धकेल दिया गया । लौटने के लिए उसके पास समय और संसाधन सीमित हैं। अब उसे समय के खिलाफ दौड़ लगाते हुए अपने शरीर में वापस लौटना है ताकि अपने जीवन के प्यार को पा सके।

इमरान द्वारा ऐसे विषय को चुनने के बारे में पूछे जाने पर उनका कहना था कि वह हमेशा ‘अज्ञात’ के प्रशंसक रहे हैं और डरावनी शैली सबसे बिडंबनात्मक और विरोधाभासी साहित्यिक रूपों में से एक है, लेकिन फिर भी इसकी लोकप्रियता बढ़ी है।

उन्होंने कहा, ‘‘जब उपन्यास के प्रारूपों की बात आती है, तो हॉरर (डरावना) उपन्यास फिल्मों की तुलना में अधिक डरावने होते हैं, क्योंकि फिल्मों में जहां दर्शक ‘हॉरर’ को अपनी आंखों के सामने प्रकट होते हुए देख सकते हैं, वहीं इसके विपरीत एक उपन्यास में पाठक की कल्पना के लिए बहुत कुछ छोड़ दिया जाता है।’’

हसनी के अनुसार, उन्होंने पारलौकिक दुनिया के अपने ज्ञान के साथ पारलौकिक विषय पर शोध के तमाम वर्षों के अनुभवों को मिलाने की कोशिश की है, जिसमें उन्होंने ‘कल्पना की खुराक’ का मिश्रण किया है।

भाषा राजेश सुरेश नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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