नई दिल्ली। पुलवामा आतंकी हमले को अंजाम देने वाला, गुंडीबाग गांव का रहने वाला जैश आतंकी आदिल अहमद डार साल 2016 से 2018 तक छह बार पुलिस हिरासत में लिया जा चुका था। आदिल को पत्थरबाजी और लश्कर-ए-तैयबा की मदद के आरोप में हिरासत में लिया गया था। आदिल का दो साल के अंदर छह बार हिरासत में लिया जाना दर्शाता है कि वह एक ऐसा शख्स था जिस पर सुरक्षा एजेंसियों को नजर रखने की जरूरत थी। इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या खुफिया खामियों की वजह से वह सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचने में सफल रहा?
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अफसरों की माने तो आदिल पर कभी भी औपचारिक रूप से आरोप नहीं लगाया और न ही एफआईआर दर्ज की गई। बता दें कि आदिल ने विस्फोटक से भरे अपनी कार को सीआरपीएफ की बस से टकरा दी थी। इसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। पुलवामा के पुलिस अधिकारी ने बताया कि आदिल ने वर्ष 2016 में एक ओवर ग्राउंड वर्कर के रूप में काम करना शुरू किया था।
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पुलिस के मुताबिक आदिल लश्कर आतंकियों को छिपने में मदद करता था। इसके अलावा वह लश्कर कमांडरों और उनके साथ जुड़ने की इच्छा रखने वाले स्थानीय युवकों के बीच मध्यस्थ का काम भी करता था। अधिकारी ने बताया कि आदिल के परिवार के कुछ सदस्यों के आतंकवादियों के संबंध हैं। अधिकारी ने कहा, ‘आदिल के जैश से जुड़ने से पहले हमने उसे सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने के आरोप में दो बार हिरासत में लिया था। इसके अलावा लश्कर आतंकियों को सहयोग देने के आरोप में उसे 4 बार हिरासत में लिया गया था।’