नयी दिल्ली, 29 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि विदेशी प्रशिक्षण के कुछ लाभ हैं, लेकिन प्रशासकों को ‘‘ भारतीय समस्याओं का भारतीय समाधान तलाशने’’पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
यहां एक कार्यक्रम में सिंह ने कहा कि मौजूदा चुनौतियां असैन्य और सैन्य अनुशासन के बेहतर समिश्रण की मांग करती हैं और पाठ्यक्रमों का अधिक से अधिक एकीकरण करने की जरूरत है।
कार्मिक राज्य मंत्री सिंह ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) में एडवांस प्रोफेशनल प्रोग्राम ऑन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (एपीपीपीए) के 46वें और 47वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए ‘‘ एकीकृत पाठ्यक्रम’’ का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि लोक प्रशसन के लिए तैयार पेशेवर प्रशिक्षण मॉड्यूल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत@2047 विजन के सदंर्भ में नए सिरे से विचार करने की जरूरत है।
कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक सिंह ने संतोष व्यक्त किया कि एपीपीपीए पाठ्यक्रमों में बदलाव किया गया है और सरकार के अन्य अहम पहलों के अलावा आत्मनिर्भर भारत और मिशन कर्मयोगी मिशन को इसमें शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि इसने पाठ्यक्रम को अधिक प्रासंगिक और उपयोगी बना दिया है और ग्रामीण व शहरी विकास योजनाओं के प्रति अधिक पहुंच दी है।
मंत्री ने कहा कि इसने अधिकारियों को विभिन्न सामाजिक आर्थिक योजना की बेहतर समझ और मूल्यांकन का अवसर दिया है।
सिंह ने कहा कि विदेशी प्रशिक्षण तक पहुंच के कुछ लाभ हैं लेकिन प्रशासकों को भारतीय समस्याओं के भारतीय समाधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
उन्होंने मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कार्यभार संभालने के बाद कार्य संस्कृति में हुए आमूल-चूल और दिखने वाले बदलाव का संदर्भ देते हुए कई लीक से हटकर लिए गए फैसलों को रेखांकित किया जिनमें दस्तावेजों को राजपत्रित अधिकारी द्वारा सत्यापित कराने की चली आ रही पुरानी परंपरा को बदलकर स्व सत्यापन का प्रावधान करना, निचले स्तर की भर्तियों में साक्षत्कार को खत्म करना और 1500 से अधिक पुराने हो चुके नियमों/कानूनों को खत्म करना शामिल है।
भाषा धीरज पवनेश
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