वायुसेना का गरूड़ कमांडो ‘देवदूत’ बना, हवा में लटक रही ट्रॉली में रातभर रूक कर बच्चों को ढांढ़स बंधाया

वायुसेना का गरूड़ कमांडो 'देवदूत' बना, हवा में लटक रही ट्रॉली में रातभर रूक कर बच्चों को ढांढ़स बंधाया

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  • Publish Date - April 13, 2022 / 01:03 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:54 PM IST

देवघर, 12 अप्रैल (भाषा) झारखंड के देवघर में रविवार को हुई रोपवे दुर्घटना में डेढ़ हजार फुट की उंचाई पर फंसी केबल कार ट्रॉली संख्या छह में दो छोटे बच्चों को ढांढ़स बंधाने के लिए वायुसेना के एक गरुड़ कमांडो ने स्वेच्छा से पूरी रात उनके साथ गुजारी। उसने मानवता की ऐसी मिसाल कायम की जिसकी चारों ओर प्रशंसा हो रही है।

देवघर रोपवे दुर्घटना रविवार को हुई तो 48 लोग लगभग एक दर्जन केबल करों में डेढ़ हजार से दो हजार फुट की ऊंचाई पर लटक गये और उन्हें बचाने का कोई रास्ता राज्य प्रशासन को नहीं सूझ रहा था। ऐसे में भारत सरकार ने वायुसेना के एमआई 17 हेलीकाप्टर के साथ गरुड़ कमांडो को राहत और बचाव कार्य के लिए त्रिकुट पहाड़ियों पर भेजा।

बचाव अभियान के दौरान ट्रॉली संख्या-छह में सोमवार शाम ढलते-ढलते सिर्फ दो छोटे बच्चे बच गये जिन्हें अंधेरा हो जाने के कारण वहां से निकाला नहीं जा सका। ऐसे में तय यह हुआ कि इन बच्चों को मंगलवार की सुबह ट्रॉलियों से बाहर निकाल कर उनके परिजनों को सौंपा जायेगा। उन्हें ट्रॉली से निकालने पहुंचा गरुड़ कमांडो अजीब दुविधा में था।

एक तरफ उसके साथी हेलीकॉप्टर से उसे वापस उपर आने के लिए पुकार रहे थे तो दूसरी तरफ ट्रॉली में बचे दो बच्चे उसकी ओर सहारे की उम्मीद में टकटकी लगाये बैठे थे।

इस घटना के गवाह झारखंड पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक आर के मलिक ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि वायुसेना के उस गरुड़ कमांडो ने अपनी आत्मा की आवाज सुनी और मानवता की नयी मिसाल पेश करते हुए दुर्घटनाग्रस्त रोपवे पर अटकी ट्रॉली संख्या-छह पर दोनों बच्चों का रात का सहारा बनने का फैसला किया और अपनी जान की परवाह न करते हुए हेलीकॉप्टर छोड़कर ट्रॉली में चढ़ गया।

कमांडो ने पूरी रात बच्चों के साथ रहकर उन्हें ढांढ़स बंधाया।

मंगलवार को तड़के जब वायुसेना का एमआई 17 हेलीकॉप्टर वापस राहत एवं बचाव कार्य के लिए त्रिकुट पर्वत पहुंचा तो सबसे पहले दोनों बच्चों को बारी-बारी से अपनी गोद में बिठाकर गरुड़ कमांडो ने हेलीकॉप्टर में पहुंचाया जहां से वापस उन्हें सुरक्षित जमीन पर लाकर उतारा गया।

वायुसेना ने अपने इस दिलेर गरुड़ कमांडो का नाम तो नही बताया है लेकिन उसकी इस मानवीय पहल की चारों ओर प्रशंसा हो रही है।

भाषा इन्दु

संतोष शफीक

शफीक