राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सभी स्थानीय भाषाएं, राष्ट्रीय भाषाएं हैं: प्रधान |

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सभी स्थानीय भाषाएं, राष्ट्रीय भाषाएं हैं: प्रधान

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सभी स्थानीय भाषाएं, राष्ट्रीय भाषाएं हैं: प्रधान

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:02 PM IST, Published Date : May 21, 2022/8:06 pm IST

शिलांग, 21 मई (भाषा) केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत, देश में सभी स्थानीय भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं और यह नीति उन सभी भाषाओं को महत्व देने के लिए बनाई गई थी।

नार्थ ईस्ट हिल विश्वविद्यालय (नेहू) के 27वें दीक्षांत समारोह में प्रधान ने कहा, “देश में प्रयुक्त होने वाली किसी भी भाषा, चाहे वह हिंदी हो या अंग्रेजी, से स्थानीय भाषाओं का महत्व कम नहीं है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की यह मुख्य विशेषता है।”

उन्होंने कहा कि एनईपी को सभी स्थानीय भाषाओं को महत्व देने के लिए बनाया गया था। उन्होंने कहा, “इस नई नीति के तहत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह विचार दिया है कि सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं। इसलिए गारो, खासी, जयंतिया (मेघालय की स्थानीय भाषाएं) राष्ट्रीय भाषाएं हैं।”

प्रधान ने दीक्षांत समारोह में पुरस्कार और प्रमाण पत्र वितरित किये और छात्रों से रोजगार का सृजन करने वाला बनने और समाज में सकारात्मक योगदान देने का आह्वान किया। नेहू से शनिवार को लगभग 16 हजार छात्रों ने डिग्री हासिल की। प्रधान ने कहा, “आपने इस स्तर तक पढ़ाई की है इसमें समाज का योगदान है। अब समय आ गया है कि आप रोजगार का सफजन करने वाला बनें…। हर छात्र को समाज में योगदान देना चाहिए। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि कुछ सार्थक कार्य कीजिये। योगदान देने वाला बनिये।”

इससे पहले विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार पर प्रधान को कुछ प्रदर्शनकारियों की नारेबाजी का सामना करना पड़ा जो इनर लाइन परमिट का समर्थन कर रहे थे। मंत्री अपने वाहन से उतरे और प्रदर्शनकारियों की बातें ध्यान से सुनी और उन्हें आश्वासन दिया कि उनका संदेश दिल्ली तक पहुंचाया जाएगा।

मेघालय में बाहरी लोगों के प्रवेश को नियंत्रित करने के लिए इनर लाइन परमिट (आईएलपी) की व्यवस्था करने की मांग उठाई जा रही है।

भाषा यश दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)