(प्रदीप्त तापदार)
कोलकाता, 30 अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल के जंगलमहल इलाके में माओवादियों के फिर से संगठित होने के प्रयास करने संबंधी खबरों के बीच राज्य के राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
जंगलमहल एक समय में माओवादियों का गढ़ रहा है और वर्तमान में वहां के कुछ हिस्सों में फिर से पोस्टर लगे दिख रहे हैं। केंद्र सरकार ने बंगाल में माओवादी गतिविधियों की चेतावनी दी थी जिसके बाद से जंगलमहल- पूर्वी और पश्चिमी मिदनापुर, झारग्राम, बांकुरा तथा पुरुलिया जिले कुछ हिस्सों में पुलिस ने सतर्कता बढ़ा दी है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है। हम स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं।”
इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं ने पोस्टर लगाए और कुछ समाचार चैनल इस मामले को “अनावश्यक तूल” देकर “डर का माहौल” पैदा करना चाहते हैं।
बनर्जी ने यह भी कहा था कि हाल में झारखंड से पांच माओवादी पश्चिम बंगाल में घुस गये थे।
तृणमूल कांग्रेस की पश्चिमी मिदनापुर जिला इकाई के अध्यक्ष एवं विधायक अजित मैती ने कहा कि विरोधी दल “भय का माहौल” बनाने की साजिश रच रहे हैं।
मैती ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “जंगलमहल में स्थिति माओवादियों के अनुकूल नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र का विकास नहीं होना चिंता की प्रमुख वजह थी जिसे अब दूर कर दिया गया है।”
तृणमूल नेता के आरोप को खारिज करते हुए भाजपा की पश्चिमी मिदनापुर जिला इकाई के अध्यक्ष तापस मिश्रा ने कहा कि वहां चलाये जा रहे काम को रोकने के लिए विरोधी दलों द्वारा जानबूझकर यह फर्जी भय फैलाया जा रहा है।
मिश्रा ने कहा कि क्षेत्र में माओवादियों के फिर से सिर उठाने को लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की पश्चिमी मिदनापुर जिला इकाई के सचिव सुशांत घोष ने भी इस आशंका को आधारहीन बताया और कहा कि क्षेत्र में लोकतांत्रिक गतिविधियों को रोकने के उद्देश्य से “बड़ी चतुराई से” यह सब किया जा रहा है।
घोष ने 2008-11 के बीच जंगलमहल में माओवादियों से निपटने में अग्रणी भूमिका निभाई थी।
भाषा यश देवेंद्र
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