जब भारतीय और इजराइली एक साथ आते हैं तो आश्चर्यजनक चीजें होती हैं: बेनेट |

जब भारतीय और इजराइली एक साथ आते हैं तो आश्चर्यजनक चीजें होती हैं: बेनेट

जब भारतीय और इजराइली एक साथ आते हैं तो आश्चर्यजनक चीजें होती हैं: बेनेट

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:33 PM IST, Published Date : November 17, 2021/5:23 pm IST

बेंगलुरु, 17 नवंबर (भाषा) इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने बुधवार को कहा कि जब भारतीय और इजराइली एक साथ आते हैं तो आश्चर्यजनक चीजें होती हैं। बेनेट ने यह पता लगाने के लिए जल्द ही भारत की यात्रा करने की उम्मीद जतायी कि दोनों देशों के लिए भविष्य में क्या है ।

बेनेट ने कहा, ‘‘कुछ सप्ताह पहले मैं अपने प्रिय मित्र प्रधानमंत्री मोदी (नरेंद्र मोदी) से मिला और हमने ऐसे कई तरीकों पर चर्चा की जिससे हम इजराइल-भारत संबंधों को अगले स्तर पर ले जा सकते हैं। विशेष रूप से हमारे देशों के बीच भविष्य का प्रौद्योगिकीय सहयोग, जो हमारी महान साझेदारी को नवाचार की एक ताकत में बदल सकता है।’’

उन्होंने ‘बेंगलुरू टेक समिट’ (बीटीएस)-2021 के लिए अपने वीडियो संदेश में कहा कि प्रौद्योगिकी में न केवल जीवन में मदद करने की शक्ति है, बल्कि जीवन को बचाने की भी शक्ति है। यदि दोनों देश अपनी ताकत मिला दें और अपना दिमाग लगाएं तो अवसर अनंत हैं।

बेनेट ने कहा, ‘‘मैं हमेशा कहता हूं कि अद्भुत लोग अद्भुत चीजें कर सकते हैं। भारत दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक है, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और उसके पास व्यापक डिजिटल विशेषज्ञता है। इजराइल दुनिया के अग्रणी नवाचार देशों में से एक है। जब भारतीय और इजरायली एक साथ आते हैं तो आश्चर्यजनक चीजें होती हैं।’’

वीडियो संदेश को बीटीएस के 24वें संस्करण में चलाया गया, जिसका उद्घाटन भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने किया। आयोजन में कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, आईटी और बीटी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सी एन अश्वथ नारायण, उद्योग मंत्री मुरुगेश निरानी, ​​बायोकॉन प्रमुख किरण मजूमदार-शॉ सहित अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद थे।

बेनेट खुद एक पूर्व उद्यमी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पहले साइओटा नामक एक कंपनी चलाता था और हमने एक भारतीय कंपनी के साथ विलय कर लिया। हम मैनहट्टन में हमारे कार्यालय में एक साथ काम कर रहे थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दो सभ्यताओं, दो गहरी संस्कृतियों का संगम उल्लेखनीय था और मैं उस एकीकरण में विश्वास करता हूं। मुझे तब भी इस पर विश्वास था और मैं अब भी इस पर विश्वास करता हूं।’’

भाषा अमित मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)