मराठवाड़ा के सबसे पुराने कॉलेज में आज भी संरक्षित है आंबेडकर की विरासत
मराठवाड़ा के सबसे पुराने कॉलेज में आज भी संरक्षित है आंबेडकर की विरासत
छत्रपति संभाजीनगर, छह दिसंबर (भाषा) छत्रपति संभाजीनगर में स्थित मिलिंद कॉलेज को मराठवाड़ा का पहला डिग्री कॉलेज होने का गौरव तो प्राप्त है ही लेकिन साथ ही इसमें संस्थान के संस्थापक डॉ. बी. आर. आंबेडकर की स्मृतियों, उनकी निजी चीजों और किताबों का एक बड़ा भंडार भी है जो आज भी कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है।
इस संस्थान की स्थापना डॉ. आंबेडकर की पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी ने 21 जून, 1950 को की थी। महाराष्ट्र में यह संस्थान शिक्षा के लिए आशा की किरण थी। इसकी स्थापना से स्थानीय छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए हैदराबाद तक का लंबा सफर तय करने की जरूरत खत्म हो गई।
कॉलेज के एक अधिकारी ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने अपने दृष्टिकोण को हर कदम पर साकार किया और जब कॉलेज का निर्माण हो रहा था, तब वह संभव होने पर निर्माण स्थल का दौरा करके कार्यों की समीक्षा करते रहते थे।’
डॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि आज यानी छह दिसंबर को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है। प्रसिद्ध न्यायविद् डॉ. आंबेडकर ने जाति-मुक्त भारत के लिए एक रूपरेखा तैयार की थी।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. शांतिलाल राठौड़ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘हमने डॉ. आंबेडकर से संबंधित कई वस्तुओं को संरक्षित किया है। इसके अलावा, हमारे पास करीब 1,000 किताबें ऐसी हैं जिन्हें उन्होंने अपने शानदार करियर के दौरान संदर्भ के लिए उपयोग किया था।’
उन्होंने बताया कि इन किताबों में डॉ. आंबेडकर की लिखी बातें और उनके नोट्स अब भी आसानी से पढ़े जा सकते हैं।
राठौड़ ने कहा, ‘हम इन किताबों का ध्यान रखते हैं और इनके संरक्षण का काम हर साल किया जाता है।’
उन्होंने कहा, “ये किताबें संभवतः डॉ. आंबेडकर के मुंबई आवास से लाई गई थीं।”
राठौड़ ने कहा, ‘यह विरासत ऐसे व्यक्ति से जुड़ी है जिसने देश के लिए अत्यधिक योगदान दिया है। डॉ. आंबेडकर की निजी चीजें और लिखित सामाग्री एक ऐसी विरासत हैं जो छात्रों को अध्ययन करने और कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करती है।’
भाषा प्रचेता जोहेब
जोहेब

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